नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान सफल रहा है और इसने हरियाणा एवं राजस्थान सहित कई राज्यों में लिंगानुपात बेहतर करने में मदद की है। ‘तीन तलाक’ पर कानून और मातृत्व अवकाश की अवधि 12 हफ्ते से बढ़ा कर 26 हफ्ते किए जाने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने कानून के जरिए नागरिकों का अधिकार सुनिश्चित किया है और उन्हें सशक्त करने के लिए कदम उठाए हैं। मोदी ने कहा, ‘‘मैं आपसे गर्व के साथ कह सकता हूं कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से हरियाणा, राजस्थान और कई अन्य राज्यों में बालिकाओं की संख्या (लिंगानुपात) बढ़ी है। जीवन का अर्थ सिर्फ सांस लेना नहीं है, बल्कि सम्मान के साथ जीना है।’’ उन्होंने राष्ट्रीय मानविधकार आयोग (एनएचआरसी) के स्थापना दिवस की रजत जयंती के अवसर पर यह कहा। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाने और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान शुरू किया है। मोदी ने कहा कि उन्हें आशा है कि तीन तलाक विधेयक संसद द्वारा पारित हो जाएगा। यह विधेयक राज्यसभा में लंबित है। लोकसभा में यह पारित हो चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मातृत्व अवकाश की अवधि 12 हफ्तों से बढ़ा कर 26 हफ्ते कर दी है। उन्होंने कहा कि एक तरह से हमने नवजात शिशु के अधिकारों का संरक्षण किया, ताकि उसकी मां अपने शिशु के पास छह महीने पूरी तरह से रह सके। यह एक बड़ा कदम है। कई प्रगतिशील देशों में यह होना बाकी है। उन्होंने आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना की भी सराहना करते हुए कहा कि इसका शुभारंभ किए जाने के ढाई महीने के अंदर 50,000 लोगों को फायदा मिला है।
मोदी ने कहा कि कानून के जरिए यह सुनिश्चित करने के कदम उठाए गए हैं कि एचआईवी से संक्रमित रोगी किसी तरह के भेदभाव का सामना नहीं करें और उनके साथ समान व्यवहार हो। उन्होंने कहा कि चाहे वह दिव्यांगों के अधिकार को बढ़ाने वाला कानून हो, उनके लिए नौकरियों में आरक्षण बढ़ाना हो, या फिर ट्रांसजेंडरों के अधिकारों की सुरक्षा वाला विधेयक हो….ये मानवाधिकारों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का ही उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने गरीब, वंचित, शोषित, समाज के दबे-कुचले व्यक्ति की गरिमा को बनाये रखने में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि टिकाऊ विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार जो भी प्रयास कर रही है, उसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि न्याय पाने के अधिकार को और मजबूत करने के लिए सरकार ई. अदालतों की संख्या बढ़ा रही है, राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड को सशक्त बना रही है। मुकदमों से संबंधित जानकारियां, फैसलों से जुड़ी जानकारियां ऑनलाइन होने से न्याय प्रक्रिया में और तेजी आई है और लंबित मामलों की संख्या में कमी हुई है।