नई दिल्ली। गरीब परिवार को एलपीजी गैस कनेक्शन देने की सरकार की उज्ज्वला योजना एक ऐसी योजना है जिसका बखान करते सरकार का कोई मंत्री नहीं अघाता। स्वतंत्र पर्यवेक्षक भी मानते हैं कि पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश चुनाव में जीत दिलाने में उज्ज्वला की अपनी अहमियत रही है।
अब आम बजट में सरकार ने इसके तहत दिए जाने वाले गैस कनेक्शनों के लक्ष्य को पांच करोड़ से बढ़ा कर आठ करोड़ कर दिया है और किसी को आश्चर्य नहीं है। इस लक्ष्य को अगले आम चुनाव से पहले ही पूरा किया जाएगा। सरकार भले ही इसे सामाजिक कवायद बताती हो, इसका राजनीतिक असर यूं ही जाएगा यह सरकार भी नहीं मानती।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘हमने कमजोर वर्ग की महिलाओं को जलावन के धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए पांच करोड़ गरीब महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन देने का ऐलान किया था। अब आठ करोड़ गरीब महिलाओं को इस योजना के तहत मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन देंगे।’
पूरे बजट में इस घोषणा पर सबसे ज्यादा तालियां बजी। इस योजना को लागू करने को लेकर पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय की तत्परता का पता इस बात से चलता है कि धर्मेंद्र प्रधान को आज-कल एलपीजी मंत्री कहा जाने लगा है। अप्रैल, 2019 तक पांच करोड़ एलपीजी कनेक्शन देने के लक्ष्य के सितंबर, 2018 में ही पूरा हो जाना तय है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वयं कहा है कि चार करोड़ गरीब घरों में अब लकड़ी, कोयला या घास-फूस पर खाना नहीं बनता बल्कि साफ सुथरे एलपीजी से खाना पकता है। उज्ज्वला योजना के आंकड़ों पर नजर डाले तो साफ हो जाता है कि इससे गरीब तबके में सरकार को अपनी पैठ बनाने में कितनी मदद मिली है।
अभी तक जितने घरों में इस योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं उनमें से 44 फीसद अनुसूचित जाति के हैं। कनेक्शन के तहत गैस चूल्हा और सिक्योरिटी प्राइस के तौर पर 1800 रुपये सरकार बतौर अनुदान देती है।
गैस रिफिल करवाने की गरीब परिवारों को दिक्कत होती है लेकिन अब इन्हें पांच किलोग्र्राम के छोटे सिलेंडर देने की योजना बनाई है। इसकी कीमत 14.2 किलोग्राम के सामान्य सिलेंडर के मुकाबले आधे से भी कम है। वर्ष 2018-19 में सरकार ने एलपीजी सब्सिडी के लिए 20,377 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।