श्रीनगर, 13 मई। हिज्बुल मुजाहिदीन ने अलगाववादी नेतृत्व के खिलाफ अपने कमांडर जाकिर मूसा के बयान से आज खुद को अलग कर लिया जिससे आतंकी संगठन में मतभेद का संकेत मिलता है। यह आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने के लिए 1989 से आतंकी गतिविधियों में सक्रिय है। हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रवक्ता सलीम हाशमी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद से एक बयान में कहा, मूसा के बयान से संगठन का कोई लेना-देना नहीं है और न ही यह इसे स्वीकार्य है। मूसा के ऑडियो बयान को निजी मत करार देते हुए हाशमी ने आगाह किया कि भ्रम पैदा करने वाला कोई भी बयान या कदम संघर्ष के लिए ताबूत में अंतिम कील साबित हो सकता है। पांच मिनट 40 सेकंड का मूसा का यह ऑडियो बयान सोशल मीडिया पर सामने आया। इसमें वह अलगाववादी नेताओं को धमकी देता है कि वे सीरिया और इराक में आईएसआईएस द्वारा स्थापित व्यवस्था के अनुरूप जम्मू कश्मीर में खलीफा स्थापित करने के उनके उद्देश्य में दखल न दें। हाशमी ने कहा कि संगठन मूसा के बयान पर विचार कर रहा है और जारी संघर्ष के हित में कोई कदम उठाने या बलिदान देने से नहीं हिचकिचाएगा। पुलिस महानिदेशक एसपी वैद ने कहा कि पुलिस ने आवाज का विश्लेषण कराया और पाया कि ऑडियो में आवाज मूसा की है। इस क्लिप को कश्मीर में जारी आतंकवाद में एक चिंताजनक मोड़ आने के रूप में देखा जा रहा है जो अब तक इस्लाम या जिहाद की जगह व्यापक रूप से तथाकथित आजादी या राज्य को पाकिस्तान में मिलाने तक सीमित रहा है। क्लिप ऐसे समय सामने आई है जब हुर्रियत नेताओं ने घाटी में आईएसआईएस की विचारधारा के प्रभाव को हाल में कमतर करना चाहा। इस सप्ताह के शुरू में सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और यासीन मलिक जैसे हुर्रियत नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि कश्मीर संघर्ष का आईएसआईएस, अल कायदा तथा ऐसे अन्य संगठनों से कोई लेना-देना नहीं है। हाशमी ने कहा, समूचे नेतृत्व ने पिछले साल जुलाई में हिज्बुल मुजाहिदीन के बुरहान वानी के मारे जाने के बाद सभी मोर्चों पर एकता प्रदर्शित की तथा आजादी और इस्लाम के लिए जारी संघर्ष को आगे ले जाने के लिए काम कर रहे हैं। उसने कहा, ऐसी स्थिति में, भ्रम पैदा करने वाला कोई बयान या कदम संघर्ष के लिए ताबूत में अंतिम कील साबित होगा।