यरुशलम। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के एक प्रमुख विशेषज्ञ ने कहा
है कि भारत डिजिटल स्वास्थ्य सेवा क्रांति के शिखर पर है, विशेष रूप से संकट के समय में अपनी स्वास्थ्य
सेवाओं के प्रबंधन में नयी सोच और प्रौद्योगिकी के साथ इजराइल का अनुभव आज की चुनौतियों का सामना कर
रही स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के कुशल और सफल प्रबंधन में बहुत मददगार साबित हो सकता है।
इजराइल के हाइफा में ‘माशाव कार्मल प्रशिक्षण केंद्र’ द्वारा ‘संकट के समय में स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन’ विषय
पर आयोजित कार्यक्रम के तहत दो सप्ताह के अंतरराष्ट्रीय पाठ्यक्रम में हिस्सा लेने आए एम्स दिल्ली में स्वास्थ्य
प्रबंधन के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. ए. राजन सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह देश इतने संकट के दौर से
गुजरा है और इसने आपातकालीन सेवाओं पर न केवल ध्यान केंद्रित किया, बल्कि बहुत अच्छी तरह से इसे
व्यवस्थित भी किया है।’’
डॉ सिंह ने कहा, ‘‘वे इन चुनौतियों का इस प्रकार से मुकाबला करते हैं कि ऐसा लगता है कि यह सब उनके लिए
स्वाभाविक है और सभी संभावित आपदाओं के लिए उनकी तैयारी से दूसरों का लाभ होता है।’’ एम्स विशेषज्ञ और
दिल्ली नगर निगम के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश नाथ प्रसाद भी माशाव द्वारा आयोजित पाठ्यक्रम में
भाग लेने वाले 12 देशों के डॉक्टरों के समूह में शामिल थे। ‘एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट कोऑपरेशन’-
माशाव इजराइल के विदेश मंत्रालय का हिस्सा है।
डॉ सिंह ने कहा, ‘‘इजराइल ने डिजिटलीकरण को अपनाकर अपनी आबादी के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को इलेक्ट्रॉनिक
तरीके से सहजता से प्रबंधित किया है। हम भारत में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता – आभा के माध्यम से एक
डिजिटल स्वास्थ्य क्रांति के शिखर पर हैं, जो आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के तहत सरकार द्वारा
शुरू की गई एक पहल है। उन्होंने स्वास्थ्य प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं को कैसे एकीकृत किया, इस बारे में हम
निश्चित रूप से कई चीजें सीख सकते हैं और अपना सकते हैं।’’
उन्होंने जोर दिया, ‘‘इजराइल की पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल) प्रणाली में मां और बच्चे की जरूरतों पर
बेहद सावधानी से ध्यान दिया गया है, इसमें बेहतर तरह से संगठित एम्बुलेंस सेवाओं के साथ आपातकालीन
देखभाल,आपदा प्रबंधन प्रणाली, स्वास्थ्य देखभाल के विभिन्न पहलुओं का डिजिटलीकरण, स्वास्थ्य देखभाल निधि
का उपयोग एक तरह से नवाचार को भी बढ़ावा देता है और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन के सभी संबंधित पहलुओं
का सहज एकीकरण करता है। भारत में हम अपनी प्रणाली विकसित करने पर काम कर रहे हैं ऐसे में इजराइल की
प्रणाली से हम काफी महत्वपूर्ण सीख ले सकते हैं।’’
दोनों देशों के बीच जनसंख्या के बेमेल घनत्व के बारे में पूछे जाने पर, एम्स विशेषज्ञ ने कहा कि आबादी के
मामले में तुलना कर सकते हैं, खासकर संकट के समय में और इजराइल की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली अपने विशिष्ट
अनुभव को देखते हुए बेहतर तरीके से तैयार है।
द गोल्डा मीर माशाव कार्मल इंटरनेशनल प्रशिक्षण केंद्र की कार्यक्रम निदेशक अन्ना एंड्राचनिक ने कहा, ‘‘पाठ्यक्रम
में दो भारतीय प्रतिभागियों के शामिल होने से हमें बहुत गर्व हुआ। सामान्य तौर पर माशाव और विशेष रूप से
एमसीटीसी के भारत के साथ मजबूत संबंध हैं और हम हमेशा इस खूबसूरत देश के साथ अनुभव साझा करने के
लिए उत्सुक हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दोनों भारतीय विशेषज्ञों ने अंतरराष्ट्रीय समूह के साथ अपने अनुभव साझा किए
और अपने ज्ञान से हमारे कार्यक्रम को समृद्ध किया।’’
इजराइल को स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में चुनौतियों से निपटने में अपनी सफलता के लिए दुनिया भर में मान्यता
प्राप्त है जो नीतियों और वित्त पोषण सहित नवीन सोच, प्रौद्योगिकी और राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के संयोजन के साथ-
साथ अत्यधिक पेशेवर और अच्छी तरह से प्रशिक्षित मानव संसाधनों पर निर्भर है।
संबंधित देशों के साथ-साथ इजराइल में अध्ययन कार्यक्रम के लिए जारी एक विवरणिका में कहा गया है,
‘‘पाठ्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को इजराइल के स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के मॉडल से अवगत कराना,
जागरूकता फैलाना और अस्पतालों सहित स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में प्रमुख प्रबंधन कार्यों के लिए उपकरण और
कौशल प्रदान करना, प्रतिभागियों में कार्यक्रमों और कार्यप्रणाली पर अनुभवों और विचारों का आदान-प्रदान करना
था।’’
13 से 24 जून तक आयोजित व्यापक अध्ययन कार्यक्रम में इजराइल में स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, स्वास्थ्य
देखभाल रणनीतिक प्रबंधन – नीति और राजनीति, वित्तीय प्रबंधन और स्वास्थ्य देखभाल, सार्वभौमिक स्वास्थ्य
कवरेज के राजनीतिक और आर्थिक पहलुओं, वैश्विक स्वास्थ्य में शासन चुनौतियों, स्वास्थ्य संकट के समय में
देखभाल और डिजिटल स्वास्थ्य प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया गया।