साक्षी गुनगुना रही थी। तभी उसकी सहेली शिखा ने उसे टोकते हुए कहा-तुम सही सुर-ताल के साथ
गाना नहीं गा रही हो। अगर तुम्हें बढ़िया गायिका बनना है, तो खूब अभ्यास करना होगा। यह
सुनकर साक्षी नाराज हो गई और बाहर निकल गई। शिखा उसके पीछे-पीछे बहुत दूर तक गई और
उससे लगातार माफी भी मांगती रही। पर साक्षी ने उसकी एक न सुनी। शिखा घर वापस आ गई।
उसे बहुत दुख हो रहा था कि उसकी वजह से उसकी सबसे अच्छी दोस्त दुखी हो गई। जब साक्षी
अपने घर पहुंची, तो उसकी मम्मी ने उसे गुस्से में देखकर पूछा, क्या हुआ बेटी? मगर वह बिना
कुछ बोले अपने कमरे में चली गई। उन्हें साक्षी की चिंता होने लगी।
वह उसके कमरे में गई और उसे बड़े प्यार से दोबारा पूछा, बेटी, क्या हुआ है? कुछ तो बताओ। तब
साक्षी फूट-फूटकर रोने लगी। तब साक्षी ने मम्मी को पूरी बात बताई। उन्होंने सारी बात सुनने के
बाद कहा, शिखा तुम्हारी सबसे अच्छी दोस्त है। वह तुम्हारे बारे में कभी बुरा नहीं सोच सकती।
उसने जो कुछ कहा तुम्हारे भले के लिए ही कहा है। जरा सोचो, उसकी गलती न होते हुए भी उसने
तुमसे माफी मांगी। अगर तुम ठंडे दिमाग से सोचोगी, तब तुम्हें अपनी गलती का एहसास होगा।
शिखा को अब अपनी गलती का अहसास हो गया। वह अपने कमरे से बाहर निकली और अपनी
दोस्त शिखा को फोन मिलाया। उसने उससे माफी मांगी।
शिखा ने भी उसे माफ कर दिया। 2 दिन बाद साक्षी के मम्मी-पापा ने उसका दाखिला एक गायन
संस्था में करा दिया। साक्षी खूब मन लगाकर गाना सीखने लगी। करीब दो साल बाद उसने एक
गायन प्रतियोगिता में भाग लिया और वह प्रथम विजेता बनी। विजेता -ट्राफी लेने के दौरान उसने
अपनी इस जीत का श्रेय अपने माता-पिता और अपनी प्रिय मित्र शिखा को दिया। उसे उस दिन
अहसास हो गया था कि सच्चे मित्र सबको नहीं मिलते। उसने अपने आप से कहा, अगर शिखा ने
मुझे उस दिन अभ्यास करने को नहीं कहा होता, तो मैं कभी अच्छी गायिका नहीं बन पाती।