राजीव गोयल
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ रहे मामलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने कहा है कि कोविड 19 किसी का चपेट में लेने से पहले धर्म, जाति, रंग, पंथ, भाषा या सीमाएं नहीं देखता है।
उन्होंने कहा है कि इस मुश्किल वक्त में हमें साथ मिलकर इस चुनौती से निपटने की जरूरत है।
सोशल साइट लिंक्डइंन पर प्रधानमंत्री के एकाउंट एक लंबे पोस्ट में उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए हमारी प्रतिक्रिया
और आचरण में एकता और भाईचारे को प्रधानता प्रदान करनी चाहिए। इस मामले में हम सब एक हैं। उन्होंने कहा
है, ‘सदी के तीसरे दशक की शुरुआत अस्त व्यस्त तरीके से हुई। कोरोना वायरस अपने साथ कई व्यवधान लेकर
आया है। इस वायरस ने हमारे पेशेवर जीवन को काफी हद तक बदल दिया है।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इन दिनों घर ही नया दफ्तर है। इंटरनेट नया मीटिंग रूम है। सहयोगियों के साथ ऑफिस से
कुछ समय का ब्रेक अब इतिहास की बात हो चुका है।’इस पूरे बयान को ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा है, ‘दुनिया
कोविड-19 से लड़ रही है, लेकिन भारत के ऊर्जावान युवा अधिक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने का
रास्ता दिखा सकते हैं।’
मालूम हो कि प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है, जब देश के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस के कुछ
मामलों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है। साथ ही एक खास वर्ग के साथ भेदभाव किए जाने के भी
मामले सामने आ रहे हैं। कहीं मुसलमान होने की वजह से सब्जी वाले को गली में घुसने नहीं दिया जा रहा, कहीं
उनसे आधार कार्ड मांगा जा रहा, कहीं जबरदस्ती लोगों ने मुस्लिमों की दुकानें बंद करा दीं तो कहीं हिंदू फेरी वालों
के ठेले पर भगवा झंडा लगा दिया जा रहा है, ताकि उनकी पहचान की जा सके।उत्तर प्रदेश के महोबा के मुस्लिम
सब्जी विक्रेताओं ने बीते दिनों डीएम को ज्ञापन सौंपा और कार्रवाई की मांग की। ये वो लोग हैं जिन्हें लॉकडाउन में
गांवों और शहरों में सब्जी बेचने की अनुमति दी गई है।खबर के मुताबिक, दिल्ली की एक कॉलोनी के एक वायरल वीडियो में एक व्यक्ति सब्जी वाले से आधार कार्ड मांग
रहा था। जब वह आधार नहीं दिखा पाया तो उसे कॉलोनी से बाहर कर दिया गया। इसी तरह उत्तर प्रदेश के
बुलंदशहर से कुछ ऐसे वीडियो सामने आए हैं जहां पर कुछ हिंदूवादी संगठनों के लोगों ने हिंदू सब्जी वालों के ठेले
पर भगवा झंडा लगा दिया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि कोई हिंदू इनके अलावा यानी कि मुस्लिमों से
सब्जी न खरीदे।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में स्थित एक अस्पताल द्वारा इलाज के लिए मुसलमानों की भर्ती पर रोक
लगाने का मामला सामने आया था। अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में कथित तौर पर हिंदू और मुसलमानों के
लिए अलग-अलग वार्ड बनाए जाने का भी मामला सामने आया था।बीते तीन मई को लॉकडाउन की अवधि बढाए
जाने के बाद मुंबई के बांद्रा इलाके में घर भेजने की मांग को लेकर हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर जुट गए थे।
इस घटना को मीडिया के एक धड़े द्वारा सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई थी।
पिछले महीने दिल्ली के निजामुद्दीन पश्चिम स्थित तबलीगी जमात के मरकज में हुए एक धार्मिक आयोजन में
देश-विदेश से हज़ारों लोग शामिल हुए थे। यह कार्यक्रम देश में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रमुख केंद्र के तौर पर
उभरा है, क्योंकि इस आयोजन में शामिल लोगों ने देश के अलग-अलग हिस्सों की यात्रा की और उनके संपर्क में
आने से यह महामारी और फैली।इसी दौरान देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मीडिया के एक
वर्ग पर तबलीगी जमात के कार्यक्रम को लेकर सांप्रदायिक नफरत फैलाने का आरोप लगाया था।
जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर केंद्र सरकार को दुष्प्रचार रोकने का निर्देश देने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों
के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की अपील की थी।