मुंबई। महिलाओं को समानता देने के मुद्दे पर जमीयत उलेमा के सचिव गुलजार आजमी ने अजीबो-गरीब बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर सबको लैंगिक आधार पर समानता चाहिए, तो पुरुष और महिला दोनों ही आधे-आधे समय यानी 4.5-4.5 महीनों के लिए गर्भधारण क्यों नहीं कर लेते।
उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने 45 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को बिना किसी पुरुष के साथ हज पर जाने की इजाजत देने के प्रस्ताव दिया। जमीयत के सचिव आजमी ने कहा कि 45 साल की उम्र से अधिक की महिलाओं को हज पर अकेले जाने देने का फैसला गैरकानूनी है। यह इस्लाम में दखल देने वाला फैसला है।
आजमी ने कहा कि कुरान में साफ-साफ कहा गया है कि हज पर एक महिला अकेले नहीं जा सकती। उन्होंने कहा कि जब से यह सरकार (मोदी सरकार) सत्ता में आई है, तब से वह मुस्लिमों से जुड़े हुए मुद्दे उठाकर उन्हें बेचैन कर रही है। इसकी वजह से मुस्लिमों को लगता है कि यह सरकार मस्लिमों के खिलाफ काम कर रही है।
आजमी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो वादे किए थे, वे अभी तक पूरे नहीं किए हैं। उन मुद्दों से भटकाने के लिए वह मुस्लिमों के खिलाफ मुद्दे उठाते हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सबसे ज्यादा इज्जत इस्लाम धर्म करता है। लैंगिक समानता पर बात करते हुए आजमी ने कहा कि अगर हम इसकी बात करते हैं, तो गर्भ धारण करने में भी समानता होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पुरुष को साढ़े चार महीने बच्चा अपने गर्भ में रखना चाहिए और बाकी के साढ़े चार महीने महिला को अपने गर्भ में रखना चाहिए। तभी हम कह सकेंगे कि समानता है। पहले जन्म देने में समानता हो, फिर इस्लाम में अलग-अलग बातों में समानता लागू होनी चाहिए।