बोकारो। मातृभूमि की रक्षा में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए सेना के वीर जवान बोकारो
निवासी प्रवीण कुमार का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह यहां पहुंचा। शुक्रवार रात हवाई मार्ग से रांची और
उसके बाद सड़क मार्ग से जेसीओ प्रवीण के पार्थिव शरीर को बोकारो लाया गया। यहां सेक्टर 4ए स्थित
उनके घर पर शव आते ही पूरा वातावरण शोकाकुल हो गया। परिजनों का जहां रो-रोकर बुरा हाल था,
वहीं रिश्तेदार और ईष्टजन ढाढस बंधाने में लगे रहे।
पिता पूर्व इस्पातकर्मी वाल्मीकि शर्मा सहित मां, पुत्री श्रेया के कारुणिक क्रंदन से माहौल काफी गमगीन
हो गया। शहीद जवान को राजकीय सम्मान के साथ आखिरी विदाई के मौके पर पूरा प्रशासनिक महकमा
भी जुट गया। जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों समेत हर खासो-आम ने इस जांबाज
सैन्य अधिकारी के सम्मान में अपने सिर झुकाया। उपायुक्त कृपानंद झा, पुलिस अधीक्षक पी. मुरुगन,
डीडीसी रविरंजन मिश्रा, चास एसडीओ हेमा प्रसाद, सिटी डीएसपी ज्ञान रंजन आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित
की।
एसपी मुरुगन ने बताया कि गुरुवार को पेट्रोलिंग के दरम्यान सियाचिन लेह में सड़क हादसे के दौरान
देशसेवा करते-करते वह कुर्बान हो गए। गरगा स्थित श्मशान घाट पर आर्मी सिख रेजिमेंट की ओर से
अंतिम सलामी दी गई। उल्लेखनीय है कि प्रवीण कुमार अपने पीछे बड़ी पुत्री श्रेया सहित एक पुत्र एवं
एक अन्य पुत्री तथा पत्नी और माता-पिता से भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं। श्रेया बोकारो में ही अपने
दादा-दादी के साथ रहा करती है, जबकि पत्नी और दो अन्य बच्चे उनके साथ ही रहा करते थे।
जवान प्रवीण कुमार का पार्थिव शरीर आने पर एक तरफ जहां सभी पारिवारिक सदस्यों व अन्य
रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल था, वहीं दूसरी ओर उनकी हिम्मतवान पुत्री श्रेया सबका धैर्य बढ़ाने में
लगी रही। मीडियाकर्मियों से बातचीत में श्रेया ने कहा आई लव माई फादर, ही इज अ सोल्जर, नाव ही
इज अ मार्टेयर (मैं अपने पिता से प्यार करती हूं, वह एक सैनिक हैं, अब शहीद हैं)। यह कहते-कहते वह
खुद फफक कर रोने लगी और रोटी हालत में ही कहा, वी प्राउड ऑफ यू एंड वी ऑलवेज लव यू पापा!
बता दें कि बोकारो में अपने दादा-दादी के साथ रहने वाली शहीद प्रवीण की पुत्री श्रेया भी आगे चलकर
आर्मी में जाना चाहती है। वह अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करना चाहती है।
मीडियाकर्मियों से बातचीत में शहीद जवान प्रवीण कुमार के एक रिश्तेदार ने बताया कि गुरुवार को
ऑपरेशन मेघदूत की अगुवाई करते हुए प्रवीण अन्य सैनिक साथियों के साथ सियाचिन ग्लेशियर (लेह)
इलाके में ऑपरेशन संबंधित पेट्रोलिंग पर थे। उसी दरम्यान भू-स्खलन हुआ और उनकी गाड़ी पांचवे लेन
से सीधे तीसरे लेन में आ गई और गाड़ी पलटने से मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
सेवानिवृत्त इस्पातकर्मी वाल्मीकि शर्मा के पुत्र प्रवीण कुमार सेना में जेसीओ के पद पर कार्यरत थे।
पारिवारिक सूत्रों के अनुसार प्रवीण शुरू से ही देश के लिये सैन्य-सेवा से जुड़कर काम करना चाहते थे।
माता-पिता कुछ और करने को कहते थे, लेकिन राष्ट्रसेवा की ललक और जिद ने उन्हें केवल सैन्य-सेवा
की ओर से प्रेरित किया। वर्ष 1993 में उन्होंने सेना में ज्वॉइन किया था। परिजनों ने बताया कि 15
दिन पहले ही प्रवीण अपने बीमार पिता के इलाज के लिए बोकारो आये थे। आगे भी सुंदर भविष्य को
लेकर कई सपने प्रवीण के साथ परिवार वालों ने संजोये थे, लेकिन शायद किस्मत को यह मंजूर नहीं
था। देश-सेवा करते-करते प्रवीण भारत-माता की गोद में हमेशा-हमेशा के लिये सो गये।