विनय गुप्ता
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को भारतीय दर्शन में अध्यात्म
परंपरा के महान दार्शनिक जगतगुरु शंकराचार्य और रामानुजाचार्य की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये उनके
दर्शन को सार्वभौमिक रूप से प्रासंगिक बताया है। नायडू ने अपने संदेश में कहा कि भारत की महान आध्यात्मिक
परम्परा के मूर्धन्य प्रतिनिधि, ब्रह्म और आत्मा के अद्वैत दर्शन के प्रणेता जगतगुरू आदि शंकराचार्य और
विशिष्टाद्वैत दर्शन के प्रणेता, स्वामी रामानुजाचार्य की जयंती पर उनकी पुण्य स्मृति को कोटिशः नमन करता हूं।’’
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आदि शंकराचार्य जी ने देश के चारों कोनों की व्यापक यात्रायें कीं, समकालीन विद्वानों से
विचार विमर्श किया तथा भारत की आध्यात्मिक और ज्ञान परम्परा की एकता को स्थापित किया। अपने दर्शन को
आचार्यों से गंभीर शास्त्रार्थों की कसौटी पर परखा।’’ नायडू ने आदिगुरु के दर्शन को पथप्रदर्शक बताते हुये कहा
‘‘उनके ग्रंथ, उनकी आध्यात्मिक स्थापनाएं, उनका अद्वैत दर्शन, आज भी अखिल मानवता का मार्ग प्रशस्त करता
है। आदि शंकराचार्य जैसे तत्वदर्शी संतों के जीवन और कृतित्व का अनुशीलन स्वतः ही जीवन में मुक्ति, शांति
और ज्ञान का अनुभव कराता है।’’ उपराष्ट्रपति ने प्राचीन भारतीय दार्शनिक रामानुजाचार्य को श्रद्धांजलि अर्पित
करते हुये कहा, ‘‘रामानुजाचार्य जी ने ईश्वर, जीवात्मा और प्रकृति के संबंधों की आध्यात्मिक व्याख्या की तथा
मानव और प्रकृति दोनों में ईश्वर का अंश देखा, प्रकृति में ईश्वरीय दिव्यता के दर्शन किए और अपने अनुयायियों
से प्रकृति की इस दिव्यता को अक्षुण्ण रखने का आग्रह किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘रामानुजाचार्य जी के विशिष्टाद्वैत
सिद्धांत ने हमारे भक्ति आंदोलन को सुदृढ़ आध्यात्मिक एवं दार्शनिक आधार प्रदान किया। कालांतर में इस परंपरा
को रामानंद और भक्तिकाल के महान कवि संतों ने समृद्ध किया।’’