नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दायर अपीलों पर अब सुनवाई दस जनवरी को होगी और यह सुनवाई तीन न्यायाधीशों की नई खंड़पीठ करेगी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने अाज इस मामले में सुनवाई करते हुए महज पांच सेकंड में यह कहा कि मामले की अगली सुनवाई दस जनवरी को होगी। न्यायालय की कार्रवाई मात्र एक मिनट तक ही चली अौर इस दौरान दोनों पक्षों की तरफ से कोई भी बहस नहीं हुई। अभी तक यह तय नहीं है कि नई पीठ में कौन से न्यायाधीश होंगें और नई पीठ यह भी तय करेगी कि मामले की सुनवाई रोजाना की जाएगी या नहीं।
गाैरतलब है कि देश के अनेक हिंन्दू संगठनों ने राम मंदिर निर्माण के लिए केन्द्र सरकार पर दबाव बना रखा है अौर यह भी कह दिया है कि राम मंदिर बनाने के लिए केन्द्र सरकार को अध्यादेश के जरिए इसका हल निकालना चाहिए। यह सुनवाई इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक जनवरी को कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के मामले में न्यायिक प्रक्रिया के पूरा होने के बाद ही अध्यादेश लाने के बारे में निर्णय लिया जाएगा। श्री माेदी ने यह भी कहा था कि सरकार अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए सभी प्रयासों के लिए तैयार है। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था“ न्यायिक प्रकिया को अपना रास्ता तय करने दीजिए और राजनीतिक नजरिए से इस पर दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए। न्यायिक प्रकिया पूरी हो जाने के बाद एक सरकार के तौर पर जो भी हमारी जिम्मेदारी होगी , हम उसे पूरा करने के लिए सभी प्रयास करेंगें।” गुरूवार को राजधानी में पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह , प्रधानमंत्री और अनके मंत्रियों ने हिस्सा लिया था और इसमें राम मंदिर के मसले को अनौपचारिक ताैर पर उठाया गया था।