लखनऊ। यूपी में निकाय चुनावों के लिए अंतिम चरण का मतदान हो चुका है और शुक्रवार को इसके नतीजे आएंगे। इन नतीजों से पहले राज्य के विद्युत नियामक आयोग ने लोगों को बिजली का बड़ा झटका दिया है। दरअसल आयोग ने राज्य में बिजली की दरें 12-18 प्रतिशत तक बढ़ा दी है।
खबरों के अनुसार प्रदेश में बिजली की दरों की बढ़ोतरी के कयास काफी दिनों से लगाए जा हे थे। नई कीमतों के मुताबिक पहली 100 यूनिटों के लिए 3 रुपये और इसके बाद 4.50 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिल आएगा। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2017-18 के लिए ग्रामीण अनमीटर्ड कनेक्शन का मासिक बिल 180 से बढ़ाकर 31 मार्च 2018 तक 300 रुपये और उसके बाद 400 रुपये किया गया है।
आयोग ने ग्रामीण घरेलू बिजली दरों में 63 फीसद, शहरी घरेलू में 8.49 फीसद, कॉमर्शियल में 9.89 और ऑफिसेस की बिजली दरों में 13.46 फीसद की वृद्धि की है। आयोग ने ओल्ड एज होम व अनाथालय या विशेष बच्चों के संस्थानों को दरों में राहत दी है और तीन साल के लिए लाइन लॉस का प्रतिशत भी निर्धारित कर दिया है। दो तीन दिन में नोटीफिकेशन जारी होने के एक हफ्ते बाद बढ़ी दरें लागू हो जाएंगी।
सूत्रों के मुताबिक लघु, मध्यम व भारी उद्योगों व लाइफ लाइन उपभोक्ताओं को छोड़कर अन्य सभी श्रेणियों के बिजली उपभोक्ताओं की बिजली महंगी होगी। चूंकि गांव की बिजली की दरें लंबे समय से न बढ़ने के कारण काफी कम हैं इसलिए सर्वाधिक बढ़ोत्तरी ग्रामीण उपभोक्ताओं की बिजली की दरों में ही दिखाई देगी।
अब तक जहां ग्र्रामीणों को 180 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह देना होता है वहीं अगले सप्ताह से 300 रुपये देने होंगे। पहली अप्रैल से यह 400 रुपये हो जाएगी। प्रति यूनिट दर 2.20 रुपये से बढ़कर 100 यूनिट तक तीन रुपये और उससे अधिक अधिकतम 5.50 रुपये होगी।
निजी नलकूप का फिक्स चार्ज 100 से बढ़कर 150 रुपये किया जा रहा है। इसी तरह शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए फिक्स चार्ज 90 से 100 रुपये तथा खपत के अनुसार प्रति यूनिट दर 4.90 से 6.50 रुपये हो जाएगी। वाणिज्यिक उपभोक्ताओं का फिक्स चार्ज 600 से 1000 तथा मिनिमम चार्ज 375 से 500 रुपये बढ़कर 425 से 575 रुपये होगा। प्रति यूनिट अधिकतम दर 8.30 रुपये होगी। मौजूदा रेग्यूलेटरी सरचार्ज आगे भी बना रहेगा।
गौरतलब है कि वित्तीय संकट से जूझ रहे पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने तो औसतन 22 फीसद बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव किया था लेकिन नियामक आयोग ने जन सुनवाई करने के बाद लगभग 15 फीसद ही दरें बढ़ाने का निर्णय किया है। चूंकि नियमानुसार आयोग द्वारा टैरिफ आर्डर जारी होने के सात दिन बाद वह प्रभावी होता है इसलिए उपभोक्ताओं को अगले सप्ताह से नई दरों के मुताबिक बिजली के बिल का भुगतान जनवरी से करना होगा।
राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग
राज्य निर्वाचन आयोग ने भले ही अनुमति दे दे ही है लेकिन निकाय चुनाव की आचार संहिता लागू होने के दौरान ही बिजली दरें बढ़ाए जाने पर उपभोक्ताओं ने राज्यपाल राम नाईक से हस्तक्षेप की मांग की है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गुजरात दौरे पर गए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गैर मौजूदगी में बिजली दरें बढ़ाने के लिए अधिकारियों के दबाव को संवैधानिक संकट करार दिया है। परिषद ने उप्र विद्युत नियामक आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैैं।
परिषद अध्यक्ष के मुताबिक नया टैरिफ जारी करने के लिए आयोग के पास चार जनवरी तक का समय है, फिर भी आयोग जैसी अद्र्ध न्यायिक संस्था आचार संहिता के दौरान ही नई दरों की घोषणा करके संवैधानिक व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रही है।
वर्मा ने कहा कि नियामक आयोग द्वारा इस बार ग्रामीण उपभोक्ताओं की दरों में कई गुना बढ़ोतरी की साजिश की जा रही है, जो नागरिकों के साथ विश्वासघात की श्रेणी में आता है। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि आर्थिक संकट का हवाला देकर पावर कारपोरेशन मुख्यमंत्री को भी गुमराह कर रहा है। परिषद ने इस मामले में मुख्यमंत्री से भी दखल देने और आचार संहित के दौरान बिजली दर बढ़ाने का दबाव बनाने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की है।