नई दिल्ली। विश्व सुंदरी मानुषी छिल्लर अपने अभियान में सशक्त भूमिका निभाते हुए कर्मठता से जुट गई हैं। मासिक धर्म के प्रति सकारात्मक रवैया व जागरूकता के लिए वह इससे जुड़े कार्यक्रमों का हिस्सा बन रहीं हैं और सफल संचालन भी कर रही हैं। मंगलवार को नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) की स्कूली छात्राओं को इस विषय पर उन्होंने संबोधित किया। कार्यक्रम में विश्व सुंदरी 2016 सटेफि नी डेल वेली, विश्व सुंदरी (यूरोप)जयना हिल (इगलैंड) के अलावा अन्य कई देशों की विश्व सुंदरियां उपस्थित रहीं।
शिक्षा, समानता और सशक्तीकरण। इन तीन बिंदुओं पर केंद्रित होकर अपना देश प्रगति की राह पर प्रशस्त हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि हर तबके की छोटी से छोटी और जरूरी इकाई खुद भी इन तीन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करे। इसकी शुरुआत होती है, हम से और आप सभी से। इतना सुनना था कि मौके पर उपस्थित छात्राओं ने जोरदार ताली बजाकर मानुषी के कथन का समर्थन किया।
नई दिल्ली पालिका परिषद व मिस वर्ल्ड संगठन के आपसी सहयोग से कन्वेंशन सेंटर में ब्यूटी विद परपज कार्यक्रम आयोजित किया गया। विश्व सुंदरी ने कहा कि मासिक धर्म हमारी पहचान है और गर्व की बात है। यह प्राकृतिक है व सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। इसके लिए किसी भी तरह की शर्म महसूस करने की जरूरत नहीं है और न हि किसी को इसका अहसास कराने की। जरूरी यह है कि हम नियमित इससे जुड़ी स्वच्छता का ध्यान रखें। व्यक्तिगत, पारिवारिक व सामाजिक स्तर पर भी इसके लिए केवल सकारात्मक रुख ही अपनाने की जरूरत है।
छात्राओं से सीधे मुखातिब होते हुए छिल्लर ने पैड से जुड़ी बातें साझा की व उनसे भी इस मामले में खुलकर बात रखने की अपील की। कहा कि सेनेटरी पैड को लेकर युवतियां व महिलाएं जितना खुलकर बात करेंगी, उतना ही इस जानकारी का प्रसार होगा। इसके जरिए ही हम स्वच्छ भारत की स्वस्थ नारी का निर्माण कर सकेंगे। जूट से बने पर्यावरण अनुकूल सेनेटरी पैड सबसे बेहतर हैं। जूट विश्व भर में आसानी से उपलब्ध है। यह प्राकृतिक तंतुओं से बना है इसलिए पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है।
एनडीएमसी के चेयरमैन नरेश कुमार ने आज का यह दिन एनडीएमसी के लिए गर्व का दिन है कि विश्व की अनेक सुंदरियां मानव कल्याण के उद्देश्य से एक ही मंच पर यहां उपस्थित हुई है। नई दिल्ली देश का हृ्दय होने के साथ भारत सरकार का प्रमुख प्रशासनिक, न्यायिक और विधायी स्थल भी है। आज का यह क्रान्तिकारी संदेश जितने अधिक लोगों तक पहुंचेगा समाज में रजोधर्म से संबंधित भ्रांतियां और शर्म उतनी ही तेजी से मिटेंगी।