व्लादिवोस्तोक/नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जापानी समकक्ष शिंजो
आबे से यहां बृहस्पतिवार को मुलाकात की और दोनों नेताओं ने उस रणनीतिक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में
सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई, जहां चीन अपनी सैन्य ताकत दिखा रहा है। दोनों नेताओं ने ओसाका
में जून में जी20 शिखर सम्मेलन के बाद अपनी इस दूसरी मुलाकात में व्यापार, संस्कृति और रक्षा
समेत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग गहरा करने का संकल्प लिया। दो दिवसीय यात्रा पर रूस पहुंचे मोदी रूस
के पूर्वी सुदूर क्षेत्र की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘व्लादिवोस्तोक
में प्रधानमंत्री शिंजो आबो से मुलाकात करके खुशी हुई। हमने कई विषयों पर गहराई से बातचीत की।
हमने विशेष रूप से हमारे देशों के बीच व्यापारिक एवं सांस्कृतिक संबंध और बेहतर करने पर वार्ता की।
हम दोनों देश एक बेहतर ग्रह बनाने के लिए विभिन्न वैश्विक मंचों पर मिलकर काम कर रहे हैं।’’ मोदी
और आबे की इस मुलाकात से पहले दोनों ने जापान के ओसाका में जी-20 शिखर सम्मेलन में और फ्रांस
के बियारित्ज में जी-7 शिखर सम्मेलन के इतर मुलाकात की थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार
ने ट्वीट किया, ‘‘मजबूत द्विपक्षीय संबंधों से वैश्विक साझेदारी को और मजबूत किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री शिंजो आबे से व्लादिवोस्तोक में पांचवें ईईएफ के इतर मुलाकात की।
आर्थिक, सुरक्षा, स्टार्ट-अप और 5जी क्षेत्रों में बहुआयामी संबंधों को और आगे ले जाने तथा क्षेत्रीय
स्थिति पर चर्चा हुई।’’ प्रधानमंत्री की बैठक की जानकारी देते हुए विदेश सचिव विजय गोखले ने मीडिया
को बताया कि दोनों नेताओं के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर वार्ता हुई। यह ऐसा मामला है जिस पर भारत
और जापान के समान विचार हैं।उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री आबे ने सभी के लिए खुले एवं मुक्त हिंद-
प्रशांत पर बातचीत की। उन्होंने आर्थिक संबंधों एवं लोगों के आपसी संबंधों की दिशा में द्विपक्षीय
सहयोग की महत्ता पर बातचीत की ताकि एक सुरक्षित एवं समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र का निर्माण किया जा
सके।’’ भारत, अमेरिका और विश्व की कई अन्य शक्तियों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य
गतिविधियों की पृष्ठभूमि में मुक्त एवं सभी के लिए खुले हिंद-प्रशांत की आवश्यकता पर बात की है।
नवंबर में भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान ने हिंद-प्रशांत में अहम समुद्री मार्गों को चीन के
प्रभाव से मुक्त करने के लिए एक नई रणनीति विकसित करने से मकसद से काफी समय से लंबित
चारों देशों के गठबंधन को आकार दिया था। चीन पूर्व दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा
करता है। इस पर वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन, ब्रुनेई और ताइवान भी अपना दावा पेश करते हैं।
चीन का पूर्वी चीन सागर को लेकर जापान के साथ भी विवाद है। ऐसा बताया जाता है कि ये दोनों ही
क्षेत्र खनिजों, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध हैं। वे वैश्विक व्यापार के लिए भी आवश्यक
हैं। गोखले ने कहा, ‘‘आबे ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की हालिया यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा
कि उस यात्रा के दौरान रक्षा क्षेत्र में हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए अहम मामलों पर बातचीत
की गई।’’ मोदी और आबे ने क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मामलों पर भी बातचीत की। गोखले ने बताया कि
दोनों नेताओं ने जापान, अमेरिका, भारत की त्रिपक्षीय बैठक का ‘‘बहुत सकारात्मक मूल्यांकन’’ किया।
उन्होंने सहमति जताई कि तीनों देशों के बीच शिखर वार्ता की यह परम्परा जारी रहनी चाहिए। उन्होंने
कहा, ‘‘द्विपक्षीय संबंधों पर काफी बातचीत हुई। इस दौरान वार्षिक शिखर वार्ता के लिए भारत आने वाले
जापान के प्रधानमंत्री की आगामी यात्रा पर विशेष जोर दिया गया। आबे दिसंबर में भारत जाएंगे। इस
यात्रा की तिथि पर बातचीत के बाद घोषणा की जाएगी।’’ गोखले ने कहा, ‘‘मोदी और आबे ने अफ्रीका पर
भी चर्चा की। आबे ने कहा कि भारत की उनकी यात्रा के दौरान दोनों नेता इस मामले पर आगे चर्चा
करेंगे।’’ मोदी 20वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर वार्ता और पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) की पांचवीं बैठक में
भाग लेने के लिए रूस आए हैं।