नई दिल्ली। मालदीव के एक अखबार में भारत विरोधी संपादकीय लिखा गया है। इस लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कट्टर हिंदूवादी बताते हुए उन्हें मुस्लिम विरोधी करार दिया गया है। इस संपादकीय के सामने आने के बाद से मालदीव की राजनीति में बवंडर खड़ा हो गया है।
स्थानीय धिवेही भाषा में निकलने वाले अखबार में भारत को सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए चीन को ‘नया दोस्त’ बताया गया है। यह संपादकीय राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन का मुखपत्र माने जाने वाले अखबार में प्रकाशित किया गया है। वहां के विपक्षीय गठबंधन ने इसकी आलोचना की है और कहा है कि इससे भारत विरोधी भावना जाहिर होती है।
इसमें यह भी कहा गया है कि मालदीव को देखने का भारत का परंपरागत नजरिया अब बदल गया है। संपादकीय में कहा गया है कि भारत अब मालदीव को ईर्ष्या, स्वार्थ से भरे हुए और द्वेष की भावना से देखता है। इसमें भारत को राष्ट्रपति यमीन सरकार के खिलाफ सैन्य तख्तापलट की साजिश रचने के साथ ही कश्मीर और श्रीलंका में अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया गया है।
संपादकीय में ये भी कहा गया है कि अब समय आ गया है कि मालदीव को नए दोस्तों की तलाश करनी चाहिए।गौरतलब है कि दक्षिण एशिया में मालदीव ही एक मात्र पड़ोसी देश है, जहां नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद अब तक नहीं गए हैं।
मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) की अगुवाई में विपक्षी पार्टियों ने इस संपादकीय के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनके अनुसार यह अखबार राष्ट्रपति का मुखपत्र है और इसके संपादकीय को छपने से पहले राष्ट्रपति ऑफिस से मंजूरी मिलती है।
एमडीपी के नेता और मालदीव के पूर्व मंत्री अहमद नसीम ने कहा कि इस तरह के संपादकीय चीन को खुश करने के मकसद से लिखे जा रहे हैं। यह सही नहीं है। मजबूत भारतीय मानकों के साथ ही चलने में दोनों देशों का भला है।
इसके साथ ही पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और मौमून अब्दुल गयूम भी संपादकीय के बाद भारत के ही पक्ष में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से मालदीव का अच्छा दोस्त रहा है, जबकि संपादकीय में उसे दुश्मन के तौर पर पेश किया जा रहा है। कोई भी इससे सहमत नहीं होगा।