विकास गुप्ता
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ‘रायसीना डायलॉग’ में बुधवार को कहा भारत
बचने की कोशिश नहीं करता बल्कि निर्णय लेने में विश्वास रखता है। जयशंकर का यह बयान ऐसे समय में आया
है जब कई देशों ने हिंद-प्रशांत में भारत की बड़ी भूमिका का आह्वान किया है। ‘रायसीना डायलॉग’ को संबोधित
कर रहे जयशंकर ने अमेरिका-ईरान के बीच चल रहे तनाव पर कहा कि वे दो विशिष्ट देश हैं और अब जो भी होगा
वह इसमें शामिल पक्षों पर निर्भर करता है। चीन के साथ संबंधों पर विदेश मंत्री ने कहा कि पड़ोसी देशों के लिए
महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनाना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों के लिए संबंधों में संतुलन अहम है… हमें
साथ-साथ चलना होगा।’’ उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद से सख्ती से निपट रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि
भारत को अपनी पुरानी छवि से बाहर निकलना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘एक समय था जब हम काम करने की तुलना
में बोलते ज्यादा थे, लेकिन अब यह स्थिति बदल रही है।’’ रायसीना डायलॉग के पांचवें संस्करण का आयोजन
विदेश मंत्रालय और ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ सम्मिलित रूप से कर रहे हैं। इसमें सौ से अधिक देशों के 700
अंतरराष्ट्रीय भागीदार हिस्सा ले रहे हैं। और इस तरह का यह सबसे बड़ा सम्मेलन है। मंगलवार से शुरू हुए इस
तीन दिवसीय सम्मेलन में 12 विदेश मंत्री हिस्सा ले रहे हैं। इनमें रूस, ईरान, ऑस्ट्रेलिया, मालदीव, दक्षिण
अफ्रीका, एस्तोनिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, हंगरी, लातविया, उज्बेकिस्तान और ईयू के विदेश मंत्री शामिल
हैं।ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ की भागीदारी का इसलिए महत्व है क्योंकि ईरान के कुद्स फोर्स के कमांडर
कासीम सुलेमानी की हत्या के बाद वह इसमें हिस्सा ले रहे हैं।