भारत की भाषाई, प्रादेशिक, रीति-रिवाजों की विविधता का अभिन्न अंग हैं मुसलमान : सुषमा स्वराज

asiakhabar.com | March 1, 2019 | 5:51 pm IST
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अबू धाबी/नई दिल्ली। हमारे मुस्लिम भाई-बहन भारत की विविधता का अभिन्न रूप हैं। वे तमिल, तेलुगु, मलयालम, मराठी, बंगला, भोजपुरी सहित भारत की कई भाषाएं बोलते हैं। भारत के मुस्लिम भाई-बहनों के पास विविध पाक स्वाद, पारंपरिक पोशाक के असंख्य विकल्प हैं। वे उन क्षेत्रों की मजबूत सांस्कृतिक और भाषाई विरासत को बनाए रखते हैं, जिसे वे दिल से चाहते हैं और जहां पीढ़ियों से रहते आए हैं। वे अपने विश्वासों का अभ्यास करते हैं और एक दूसरे के साथ तथा अपने गैर-मुस्लिम भाइयों के साथ सद्भाव से रहते हैं। यह विविधता और सह-अस्तित्व की भावना है। इसके इतर भारत में बहुत कम मुस्लिम, कट्टरपंथी और चरमपंथी विचारधाराओं के जहरीले प्रचार के शिकार हुए हैं। यह बातें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अबू धाबी में आयोजित ”ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपेरशन (ओआईसी)” की 46वीं अंतरराष्ट्रीय बैठक के दौरान कही। विदेश मंत्री स्वराज को ”ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपेरशन” (ओआईसी) ने इस बार अपना ”गेस्ट ऑफ ऑनर” बनाया है। वहीं ओआईसी के संस्थापक सदस्य पाकिस्तान ने गैर-मुस्लिम राष्ट्र भारत को इस बैठक में बुलाए जाने का विरोध किया और बैठक का बहिष्कार किया। गैर-मुस्लिम राष्ट्र भारत को ओआईसी में न्यौते के लिए दिया धन्यवाद ”ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपेरशन (ओआईसी)” में ”गेस्ट ऑफ ऑनर” के रूप में अपने वक्तव्य में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि मुझे अपने सहयोगियों को राष्ट्रों से जुड़ने के लिए सम्मानित किया गया है, जो एक महान धर्म और प्राचीन सभ्यताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। मैं यहां एक भूमि के प्रतिनिधि के रूप में खड़ी हूं, जो सदियों से ज्ञान का स्रोत रहा है, शांति का पुंज है, विश्वासों और परंपराओं का स्रोत है और दुनिया के धर्मों का घर है; और अब, विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। मैं अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 1.3 अरब भारतीयों की ओर से दुनिया के 185 मिलियन से अधिक मुस्लिम भाई-बहन का अभिनंदन करती हूं। साल 2019 की विशेषता को बताया स्वराज ने कहा कि साल 2019 वास्तव में एक बहुत ही विशेष वर्ष है। इस साल ओआईसी अपनी स्वर्ण जयंती मना रहा है। वहीं संयुक्त अरब अमीरात सहिष्णुता का वर्ष मना रहा है, जबकि भारत सत्य और अहिंसा के वैश्विक प्रतीक महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। इसलिए मेरे लिए और भारत के लिए, इस विशेष वर्ष में आमंत्रित किया जाना, आपका अतिथि सत्कार और दोस्ती का हाथ बढ़ाया जाना गर्व की बात है। पिछले चार वर्षों में, यूएई और वास्तव में पूरे खाड़ी तथा पश्चिम एशिया क्षेत्र के साथ भारत के संबंधों में अधिक जुड़ाव देखा गया है। यह इतिहास की वापसी है। ओआईसी के सदस्य संयुक्त राष्ट्र के एक-चौथाई से अधिक सदस्य हैं और लगभग एक चौथाई मानवता है। यह एक संगठन है जिसकी हमारी दुनिया को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका है। दक्षिण पूर्व एशिया से लैटिन अमेरिका के तटों तक; मध्य एशिया के कदमों से लेकर अफ्रीकी महाद्वीप के विशाल विस्तार तक; दक्षिण एशिया से पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के महान आर्क तक, राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व यहां किया गया है, जो भाषा और साहित्य, रीति-रिवाजों और संस्कृति, इतिहास और विरासत की शानदार विविधता को भी दर्शाता है। साझा इतिहास, आपसी हितों पर की बात सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत आपके साथ बहुत कुछ साझा करता है। हममें से कई लोगों ने उपनिवेशवाद के काले दिनों का अनुभव किया है। हममें से सभी ने एक ही समय में स्वतंत्रता की रोशनी और उम्मीद की उज्ज्वल किरण को महसूस किया है। हम जाति और धर्म की परवाह किए बिना सभी लोगों की न्याय, गरिमा और समानता की हमारी तलाश में एकजुटता के साथ खड़े हुए हैं। भारत के साथ मुस्लिम राष्ट्रों के आर्थिक संबंधों पर की बात भारतीय अर्थव्यवस्था की पिछले कुछ सालों में उन्नति और मुस्लिम राष्ट्रों के साथ भारत के बढ़ती आर्थिक साझेदारियों पर बोलते हुए स्वराज ने कहा कि जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ी है, ये साझेदारी और मजबूत हुई है। हमारे पास उत्कृष्ट राजनीतिक संबंध हैं, कई के साथ, रक्षा और सुरक्षा सहयोग के करार हैं। साथ ही हमारा आर्थिक जुड़ाव मजबूत और तेजी से बढ़ रहा है। हमारी डिजिटल भागीदारी हमारे आपसी भविष्य को आकार दे रही है। ब्रुनेई, इंडोनेशिया और मलेशिया, भारत की ”एक्ट ईस्ट” नीति के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। साथ ही इंडो पैसिफिक क्षेत्र में हमारे व्यापक जुड़ाव हैं। हमारे पड़ोस में, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव के साथ हमारे संबंध अपने उच्चतम स्तर पर हैं। मध्य एशिया में, हम संभावनाओं के नए मार्गों के साथ अपने संबंधों का पुनर्निर्माण कर रहे हैं। भारत को न्यौते से नाराज पाक ने किया बहिष्कार गैर-मुस्लिम देश भारत को ”ओआईसी” की बैठक में बुलाने से पाकिस्तान ने अपनी नाराजगी पहले से ही जाहिर कर दी थी। पाकिस्थान के विदेश मंत्री ने ऐलान किया था कि यदि भारत को ओआईसी की बैठक में बुलाया गया तो वो इसका बहिष्कार करेगा। जब भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ”ओआईसी” में ”गेस्ट ऑफ ऑनर” के रूप में सम्मानित की गईं, तो पाकिस्तान ने उस सत्र में भाग नहीं लिया। क्या है ”ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी)” उल्लेखनीय है कि ”ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन(ओआईसी)” दुनिया के 57 मुस्लिम देशों का संगठन है। ये इसकी 46वीं बैठक है। मुस्लिम देशों का यह संगठन पूरी दुनिया के मुसलमान बहुल देशों की ऐसी संस्था है, जो इस्लाम और मुस्लिम हितों को वैश्विक स्तर पर बरकरार रखने का प्रयास करती है। पाकिस्तान इसके संस्थापक सदस्यों में है। बावजूद इसके भारत को आमंत्रित करने को लेकर पाकिस्तान की बात नहीं सुनी गई। पाकिस्तान खुले तौर पर भारत को मुस्लिम राष्ट्रों के इस संगठन की बैठक में बुलाने का विरोध कर रहा है।

 


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