नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ब्रिक्स देशों के बीच पर्यावरण के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ब्रिक्स देशों के बीच पर्यावरण के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन को पूर्व प्रभाव से मंजूरी दी गई। इस समझौता ज्ञापन पर जुलाई 2018 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित 10वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे।
समझौता ज्ञापन के जरिए कई विषयों पर सहयोग पर जोर दिया गया है जिसमें वायु की गुणवत्ता, जल, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, कचरा प्रबंधन, सतत विकास और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए 2030 का एजेंडा लागू करने तथा प्रतिभागियों द्वारा आम सहमति वाले अन्य क्षेत्रों में सहयोग शामिल है। समझौता ज्ञापन के माध्यम से ब्रिक्स देशों के बीच हिस्सेदारी, परस्पर आदान-प्रदान और समान हितों के आधार पर पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए दीर्घावधि सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
पर्यावरण को लेकर जारी चिंताएं आज सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर चुकी हैं। समझौता ज्ञापन के जरिए ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे पांच बड़ी अर्थव्यवस्था वाले ब्रिक्स देशों ने पर्यावरण को बचाने, उसे संरक्षित करने और उसके टिकाऊपन के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इन देशों में दुनिया की 40 प्रतिशत से ज्यादा आबादी बसती है।
इस करार के जरिये जलवायु परिवर्तन और वन्य जीव संरक्षण के लिए बेहतर तकनीक और नई प्रौद्योगिकी तथा बेहतर कार्य प्रणाली का इस्तेमाल होने की संभावना है। इसके माध्यम से ब्रिक्स देशों के सरकारी और निजी क्षेत्र को टिकाऊ विकास और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में परस्पर अपने बेहतरीन अनुभवों, तकनीकी ज्ञान और काम करने के तौर-तरीकों को साझा करने का अवसर मिलेगा। साथ ही
समान हितों से जुड़े क्षेत्रों में परियोजनाएं शुरू करने की संभावनाएं भी बनेंगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ताइपे में भारत-ताइपे एसोसिएशन और भारत में ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केन्द्र के बीच द्विपक्षीय निवेश समझौते को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस समझौते से दोनों पक्षों के बीच निवेश का प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है। समझौते से आईटीए और टीईसीसी के बीच परस्पर आधार पर निवेश को उपयुक्त संरक्षण प्रदान किया जा सकेगा। इससे निवेश से जुड़े मामलों में बिना किसी भेदभाव के सामान अवसर सुनिश्चित कर निवेशकों का विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे निवेशकों को हितकर माहौल प्रदान किया जा सकेगा। इससे भारत को तरजीही विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) स्थल के रूप में पेश करने में मदद मिलेगी।