नई दिल्ली। देश के बाढ़ प्रभावित इलाकों में पानी के तेजी से घटने के कारण
राहत कार्य तेज कर दिया गया है तथा राहत केंद्रों में शरण लिये लोग अपने-अपने घरों को लौटकर
पुनर्वास के काम में जुट गये हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में सेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल
(एनडीआरएफ) राज्य की विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। बाढ़
प्रभावित इलाकों में स्थिति तेजी से सामान्य होती जा रही है।
इस बीच देश के विभिन्न हिस्सों में हुई भारी बारिश और बादल फटने के कारण आई बाढ़ तथा भूस्खलन
की घटनाओं में मृतकों की संख्या बढ़कर 386 पहुंच गयी है जबकि 23 अन्य लापता हैं। इस वर्ष बारिश
एवं बाढ़ से उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब सबसे गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं
जबकि इससे पहले के दौर में हुई बारिश और बाढ़ से दक्षिण भारत के केरल और कर्नाटक सबसे गंभीर
तौर पर चपेट में आये थे। हिमाचल में बारिश, बाढ़ एवं भूस्खलन की घटनाओं में अब तक 63 लोगों
तथा उत्तराखंड में 62 लोगों की मौत हुई है जबकि छह अन्य लापता हैं।
दक्षिण भारत के केरल और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में बाढ़ और भूस्खलन के कारण सबसे अधिक
नुकसान हुआ है। केरल में अब तक 125 लोगों की मौत हुई जबकि 17 लोग अब भी लापता हैं, कर्नाटक
में 62, गुजरात में 35, महाराष्ट्र में 30, ओडिशा में आठ तथा आंध्र प्रदेश में नाव पलटने से एक लड़की
की मौत हो चुकी है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में भारी बारिश के बीच बिजली गिरने से कम से कम
आठ लोगों की जान गयी हैं।
इसबीच बाढ़ प्रभावित इलाकों में सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों के दौरे तेज हो गये हैं। केंद्रीय खाद्य
प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने शुक्रवार को पंजाब के बाढ़ से प्रभावित गांवों में खाद्य
उत्पादों और पेय पदार्थों के रूप में सहायता वितरित की तथा पंजाब की कांग्रेस सरकार को इसके लिए
केन्द्र सरकार की ओर से आवंटित 474 करोड़ रुपये तुरंत जारी करने को कहा।
फिल्लौर के मयोवाल गाँव और बाद में सुल्तानपुर लोधी के तखिया और बारा जोध सिंह गाँवों में उसकी
अपील पर विभिन्न खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों की ओर से दान की गयी राहत सामग्री वितरित करने के
बाद लोगों के साथ बातचीत में श्रीमती बादल ने कहा,“मैं वाहे गुरु से आपकी भलाई के लिए प्रार्थना
करती हूँ। मुझे दुःख है कि आपके घर और चूल्हा विनाशकारी बाढ़ से खतरे में पड़ गये हैं।”
श्रीमती बादल ने कहा कि ऐसा लगता है कि पंजाब सरकार ने यह कहकर लोगों को गुमराह किया था कि
उसने केंद्र से बाढ़ राहत पैकेज मांगा है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए केंद्र ने पंजाब को पहले
ही 474 करोड़ रुपये दिए थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार को लोगों को यह बताना चाहिए कि उसने
इस फंड से कितना पैसा खर्च किया है। उन्होंने कहा,“स्पष्ट रूप से यह पैसा अभी भी लोगों को जारी नहीं
किया गया है। एक बार जब यह जारी किया जाता है और अधिक धन की आवश्यकता होती है तो
शिरोमणि अकाली दल खुद ही केंद्र सरकार से संपर्क करेगा।”
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जमीनी स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है लेकिन राज्य सरकार कुछ नहीं
कर पा रही। उन्होंने कहा,“ सामाजिक और धार्मिक संगठन मदद के साथ लोगों तक पहुंचने वाले पहले
लोग हैं और वे अब भी लंगर की सेवा जारी रखे हुए हैं।”
मध्यप्रदेश के 25 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश
भोपाल, 24 अगस्त (वेबवार्ता)। मध्यप्रदेश में इस वर्ष मानसून सीजन में अब तक 51 जिलों में से 25
जिलों में सामान्य से अधिक, 20 में सामान्य और शेष जिलों में सामान्य से कम वर्षा दर्ज हुई है।
सर्वाधिक वर्षा मंदसौर जिले में और सबसे कम वर्षा सीधी जिले में दर्ज की गई है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस वर्ष एक जून से अभी तक सामान्य से अधिक वर्षा वाले जिलों में
मंदसौर, नीमच, आगर-मालवा, शाजापुर, भोपाल, झाबुआ, राजगढ़, बड़वानी, रतलाम, उज्जैन, गुना,
बुरहानपुर, सीहोर, अलीराजपुर, खण्डवा, इंदौर, नरसिंहपुर, जबलपुर, रायसेन, श्योपुर-कलां, अशोकनगर,
सिंगरौली, धार, खरगोन और देवास शामिल हैं।
सामान्य वर्षा वाले जिले विदिशा, होशंगाबाद, मण्डला, रीवा, सागर, दमोह, उमरिया, बैतूल, भिण्ड,
डिण्डौरी, मुरैना, टीकमगढ़, हरदा, शिवपुरी, सतना, अनूपपुर, छतरपुर, सिवनी, दतिया और ग्वालियर हैं।
पन्ना, छिंदवाड़ा, बालाघाट, कटनी, शहडोल और सीधी सामान्य से कम वर्षा वाले जिले हैं। मध्यप्रदेश के
अधिकांश हिस्सों में अभी भी बारिश हो रही है। राजधानी भोपाल और आसपास के जिलों में कल रात से
ही लगातार वर्षा का क्रम जारी है।