नई दिल्ली। केंद्र सरकार के आम बजट से जहां मध्यम वर्ग निराश है वहीं केंद्र सरकार के सहयोगी दलों को भी मायूसी मिली है। इसके बाद एनडीए सदस्य टीडीपी ने कहा है कि वो संग्राम छेड़ने जा रहे हैं। बजट को लेकर टीडीपी सांसद टीजी वेंकटेश ने तीन विकल्प सामने रखे हैं।
शुक्रवार को उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमारे पास तीन विकल्प हैं पहला कोशिश करो और बने रहो, दूसरा सांसदों का इस्तीफा और तीसरा गठबंधन से अलग होना।
जानकारी के अनुसार आम बजट में उपेक्षा से नाराज टीडीपी के अध्यक्ष और प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने पार्टी की इमर्जेंसी मीटिंग बुलाई है। इस बैठक में यह तय होगा कि केंद्र और राज्य में एनडीए के साथ गठबंधन जारी रखा जाए या फिर तोड़ दिया जाए। पहले ही चंद्रबाबू नायडू यह संकेत दे चुके हैं कि वह एनडीए से दोस्ती खत्म कर सकते हैं।
चंद्रबाबू नायडू ने टीडीपी सांसदों से कहा कि बजट में आंध्र प्रदेश के लिए फंड के आवंटन से वह बेहद असंतुष्ट हैं। यह भाजपा को तय करना है कि वह इस फैसले का कैसे बचाव करती है। हमलोग प्रदेश की जनता को बताएंगे कि कैसे बजट में आंध्र प्रदेश की पूरी तरह उपेक्षा की गई।
गौरतलब है कि पहले ही एन. चंद्रबाबू नायडू एनडीए से नाता तोड़ने के संकेत दे चुके हैं। उन्होंने अलग होने की संभावनाओं के लिए भाजपा को ही जिम्मेदार ठहराया था। राज्य के भाजपा नेताओं द्वारा टीडीपी की आलोचनाओं पर चंद्रबाबू ने कहा था कि इन्हें कंट्रोल करना भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की जिम्मेदारी है।
शिवसेना भी अक्रामक मूड में –
वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने भाजपा पर निशाना साधाते हुए आम बजट 2018 के जरिए वित्त मंत्री अरुण जेटली की निंदा की। फिल्मी अंदाज में उन्होंने कहा कि गुजरात चुनाव ट्रेलर था, राजस्थान का उपचुनाव इंटरवल और 2019 में पूरी फिल्म का शो होगा।
राउत ने कहा कि जेटली का आम बजट 2018 काफी अच्छा है, लेकिन केवल कागज पर। किसान आत्महत्या कर रहे हैं, तुरंत इसे लागू करने को लेकर किसी तरह का बयान देने का यह उचित समय नहीं होगा। राउत ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए आगे कहा कि 2019 में अकेले चुनाव लड़ने की हमारी प्रतिबद्धता से पीछे हटने का सवाल नहीं है, एक बार छोड़ा गया तीर वापस नहीं आता।