हैदराबाद। पीएम मोदी ने मंगलवार को हैदराबाद के लोगों को बड़ा तोहफा दे दिया। जीईएस सम्मेलन में हिस्सा लेने हैदराबाद पहुंचे पीएम मोदी ने हैदराबाद मेट्रो का शुभारंभ किया और इसके बाद इसके पहले यात्री भी बने। उनके साथ इस यात्रा में तेलंगाना के मुख्मयंत्री केसी राव और राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हा भी थे।
इससे पहले पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज दुनिया की निगाहें हैदराबाद पर है क्योंकि यहां जीईएस जैसा इतना बड़ा आयोजन होने जा रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि हमें दक्षिण में सरकार में रहते हुए लोगों की सेवा का मौका कम मिला लेकिन हमारे कार्यकर्ता लगातार यहां काम कर रहे हैं। हम सहकारी संघीयता में यकीन करते हैं और जिस राज्य में हमारी सरकार है उसके साथ किसी भी तरह के भेदभाव का सवाल ही नहीं उठता। हम देश के संपूर्ण विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।
72 किमी लंबी इस मेट्रो परियोजना के पहले चरण का शुभारंभ होने के बाद बुधवार से ही नागोले से मियापुर तक की मेट्रो आम लोगों के खोल दी जाएगी।
24 स्टेशनों के साथ शुरु होने जा रहा मेट्रो प्रोजेक्ट का यह पहला चरण शहर के व्यस्त इलाकों जैसे राजीव गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, उस्मानिया यूनिवर्सिटी, सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन और बड़े व्यवसायिक स्थान बेगमपेट और अमरपेट जैसे स्टेशनों से गुजरेगी।
मेट्रो निर्माण कंपनी ‘एल एंड टी मेट्रो रेल हैदराबाद लिमिटेड’ के एमडी और सीईओ शिवानंद निंबर्गी के अनुसार, 30 किमी की सबसे लंबी दूरी की मेट्रो कनेक्टिविटी के साथ ही यह भारत का सबसे पहला शहर बन गया है। उन्होंने कहा, यहां के स्टेशन पूरी तरह से खुले हैं, दूसरे शहरों की तरह यहां टनल्स नहीं हैं। इस प्रोजेक्ट में हमने सबसे कम जमीन का उपयोग किया है। दूसरी बड़ी खासियत ये है कि दूसरे यातायात के साधनों जैसे बसों, टैक्सियों, ऑटोरिक्शा और यहां तक कि बाइक कनेक्टिविटी का भी काफी ध्यान रखा गया है।
हैदराबाद मेट्रो का किराया दिल्ली की तर्ज पर ही होगा। पहले 2 किमी के लिए जहां 10 रुपए देने होंगे वहीं 2-4 किमी के लिए 15 रुपए, 4-6 किमी के लिए 25 रुपए देने होंगे। मेट्रो में 30 किमी से ज्यादा का सफर करने के लिए सर्वाधिक किराया 60 रुपए देना होगा।
बता दें कि हैदराबाद में यह परियोजना वर्ष 2012 में ही शुरु किया जा सकता था लेकिन अलग राज्य तेलंगाना की मांग के बाद इसके निर्माण में बाधा आ गई और यह निर्माण शुरु नहीं हो पाया। बाद में जब 2014 में तेलंगाना एक अलग राज्य के रुप में स्थापित हो गया तब निर्माण कंपनी एल एंड टी ने इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि तेलंगाना से अलग होने के बाद अलग राज्य आंध्रप्रदेश में मेट्रो प्रोजेक्ट सफल हो पाएगा या नहीं।