नई दिल्ली। आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान पर अमेरिका की सख्ती पूरी दुनिया देख रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम के बाद अब पीएम मोदी उनसे मिल सकते हैं। खबर है कि यह मुलाकात स्विट्जरलैंड के दावोस में 22 जनवरी से होने जा रही वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना बैठक के दौरान हो सकती है। हालांकि, इसे लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है।
माना जा रहा है कि दावोस में वर्ल्ड इकोनामिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक में इस बार भारत का ही डंका बजेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में एक बेहद मजबूत भारतीय दल वहां शिरकत करेगा। पीएम 23 जनवरी को फोरम की बैठक में उद्घाटन भाषण देंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक में पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात हो सकती है।
दावोस में दुनिया भर के निवेशकों के बीच भारत की ब्रांडिंग करने के लिए मोदी के साथ छह अन्य केंद्रीय मंत्रियों का भी दल होगा। इसमें भारतीय उद्योग जगत का भी एक बड़ा दल हिस्सा लेगा, जो भारत की निवेश की अनुकूल छवि को पेश करेगा।
दावोस में होने वाली डब्ल्यूईएफ की इस बैठक को अभी दुनिया में आर्थिक गतिविधियों का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। इस बार 60 देशों के राष्ट्राध्यक्ष, जबकि 350 राजनीतिक नेता इसमें हिस्सा लेंगे। हर देश इस सम्मेलन के जरिये अपनी निवेश के अनुकूल छवि पेश करने की कोशिश करता है। इसके पहले 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने दावोस की बैठक में हिस्सा लिया था।
इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली, उद्योग व वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, रेल मंत्री पीयूष गोयल, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पीएमओ में राज्य मंत्री डा. जितेंद्र सिंह और विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर भी हिस्सा लेंगे। सुरेश प्रभु ने बताया कि पीएम मोदी के वहां होने से भारत को एक आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर स्थापित करने में मदद मिलेगी। बैठक के दौरान भारतीय दल 11 देशों के प्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेगा। वहीं, केंद्रीय मंत्री 25 विभिन्न सत्रों को संबोधित करेंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के मुताबिक “पीएम मोदी की दावोस में स्विटजरलैंड के राष्ट्रपति एलेन बरसेट के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी होगी। इसमें जेटली के अलावा अन्य वरिष्ठ मंत्री भी शामिल हो सकते हैं।” भारत और स्विटजरलैंड के बीच कालेधन से जुड़ी सूचनाओं को साझा करना का नया समझौता हुआ है। समझौते के मुताबिक, जल्द ही दोनों देश एक-दूसरे को बैंकिंग से जुड़ी सूचनाओं को साझा करना शुरू करेंगे। इस लिहाज से यह बैठक अहम होगी।