जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे फिर से अपने देश की सत्ता संभालने को तैयार हैं। शक्तिशाली तूफान के बीच रविवार को मध्यावधि चुनावों के लिए हुए मतदान के बाद उनकी विशाल जीत की संभावना जताई जा रही है। मतदान के बाद एग्जिट पोल में भी उन्हें जबरदस्त जनादेश मिलने की बात कही गई है। एक सर्वेक्षण में तो शिंजो आबे को 311 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गई है, जो दो-तिहाई बहुमत से एक सीट ज्यादा है। अन्य सर्वेक्षणों में आबे की पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के नेतृत्व वाले गठबंधन को दो-तिहाई बहुमत से थोड़ी कम सीटें मिलने की बात कही गई है।
संविधान में संशोधन के लिए आबे की पार्टी को बहुमत मिलना काफी अहम है। अगर आबे इस चुनाव में जीत दर्ज करते हैं, तो अगले साल सितंबर में होने वाले चुनाव में फिर से जीतने की संभावना बढ़ जाएंगी। इस तरह वह सबसे लंबे समय तक रहने वाले जापानी प्रधानमंत्री बन सकते हैं। 2012 में उन्होंने पहली बार सत्ता संभाली थी। रविवार को तेज बारिश और हवाओं से जूझने के बावजूद जापान के मतदाता वोट डालने के लिए अपने घरों से निकले।
इन चुनावों से प्रधानमंत्री शिंजो आबे को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को फिर से प्रगति देने और और उत्तर कोरिया पर अपने कड़े रुख को मजबूत करने के लिए नया जनादेश दे मिल सकता है। 252 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हवाओं के बीच सुबह सात बजे मतदान केंद्र खुल गए। तेज तूफानी स्थिति के कारण पश्चिमी जापान के कोच्चि में मतदान 20 मिनट की देरी से शुरू हुआ।
क्या कहते हैं एग्जिट पोल:
–311 सीटें आबे की पार्टी एलडीपी को मिल सकती हैं 465 में से
–310 सीटों की जरूरत होगी दो-तिहाई बहुमत के लिए
–50 सीटें ही मिलने का अनुमान है विपक्षी नेता यूरिको कोइके को
कमजोर विपक्ष का फायदा:
शिंजो आबे जापान में बहुत लोकप्रिय नेता नहीं रह गए हैं, बावजूद इसके उन्हें दो-तिहाई बहुमत मिलने की संभावना है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण कमजोर विपक्ष का होना है। टोक्यो की गवर्नर यूरिको कोइके ने मध्यावधि चुनाव की घोषणा के बाद ही ‘पार्टी ऑफ होप’ का गठन किया था। मगर वह खुद चुनाव नहीं लड़ रही हैं। इसके अलावा विपक्ष भी बिखर कर छोटे-छोटे दलों में बंट चुका है। इससे आबे की राह आसान हो गई है।
अर्थव्यवस्था और उत्तर कोरिया प्रमुख मुद्दा:
जापान में दो प्रमुख मुद्दों पर मतदान किया गया। पहला उत्तर कोरिया से लगातार परमाणु हमले का खतरा पैदा होना, दूसरे कमजोर होती अर्थव्यवस्था। इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा भी चुनाव के प्रमुख मुद्दों में शामिल है। माना जा रहा है कि बहुमत पाने के बाद आबे आर्थिक सुधारों के लिए कड़े फैसले ले सकते हैं।
मध्यावधि चुनाव के फैसले से चौंकाया:
शिंजो आबे ने 25 सितंबर को अचानक मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर विपक्ष को भी चौंका दिया था। उनका कहना है कि ‘राष्ट्रीय आपदाओं’ से निपटने के लिए जापान को नए जनादेश की जरूरत है। जुलाई में आबे की लोकप्रियता रेटिंग घटकर 18 प्रतिशत रह गई थी। मध्यावधि चुनावों की घोषणा के बाद यह बढ़कर 50 फीसदी तक पहुंच गई थी।
कड़े फैसले लेने को तैयार:
-अगर शिंजो आबे चुनाव जीत जाते हैं, तो वह कड़े फैसले लेने की तैयारी में हैं।
-द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार जापान परमाणु कार्यक्रम शुरू करने पर विचार कर रहा है।
-आबे संविधान में संशोधन कर जापान की आत्मरक्षा बल को राष्ट्रीय सेना में तब्दील करना चाहते हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध में हार के बाद से जापानी संविधान अपनी सेना को अंतरराष्ट्रीय मिशन में भाग लेने की इजाजत नहीं देता है। सेना का इस्तेमाल सिर्फ आत्मरक्षा के लिए ही हो सकता है।