बोस्टन। ‘नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (नासा) ने चंद्रमा से लाई धूल और
तिलचट्टों पर अपना दावा करते हुए कहा है कि किसी अन्य को इनकी नीलामी करने का कोई अधिकार नहीं है।
अंतरिक्ष एजेंसी ने बोस्टन स्थित ‘आरआर ऑक्शन’ से ‘1969 अपोलो 11’ अभियान के दौरान एकत्र की गई चंद्रमा
की उस धूल की बिक्री पर रोक लगाने को कहा है, जो यह पता करने के लिए कुछ तिलचट्टों को खिलाई गई थी
कि क्या चंद्रमा की चट्टानों में स्थलीय जीवन के लिए खतरा बनने वाला किसी प्रकार का पैथोजन होता है या
नहीं।
नासा के एक वकील ने नीलामीकर्ता को लिखे एक पत्र में कहा है कि इस धूल और तिलचट्टों पर अब भी संघीय
सरकार का अधिकार है। ‘आरआर’ ने कहा कि चंद्रमा की करीब 40 मिलीग्राम धूल और तिलचट्टों के तीन कंकाल
समेत प्रयोग में इस्तेमाल की गई सामग्री कम से कम चार लाख डॉलर में बिकने की संभावना थी, लेकिन उसे
नीलाम की जाने वाली वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया है।
‘अपोलो 11’ अभियान के दौरान चंद्रमा से 21.3 किलोग्राम से अधिक चंद्र चट्टान को पृथ्वी पर लाया गया था और
इसे यह पता लगाने के लिए कीड़ों, मछलियों एवं कुछ अन्य जीवों को खिलाया गया था कि इससे उनकी मौत तो
नहीं होती। जिन तिलचट्टों को चंद्रमा की धूल खिलाई गई थी, उन्हें मिनेसोटा विश्वविद्यालय लाया गया था, जहां
कीट वैज्ञानिक मैरियन ब्रूक्स ने उनका अध्ययन करने के बाद कहा था, ‘‘मुझे संक्रामक एजेंट मौजूद होने का कोई
सबूत नहीं मिला।’’