शिवा गोयल
अहमदाबाद। एक भीषण दुर्घटना में गुजरात के अहमदाबाद महानगर में आज तड़के एक
निजी अस्पताल में आग लग जाने से तीन महिलाओं समेत कम से कम आठ कोरोना मरीज़ों की दर्दनाक मौत हो
गयी।
उप मुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने बताया कि शहर के बीचों बीच स्थित पॉश नवरंगपुरा इलाक़े में
स्थित श्रेय अस्पताल के आइसीयू वार्ड में तड़के लगभग तीन बजे आग लग गयी। इसे कोरोना मरीज़ों के उपचार के
लिए सरकार ने नामित किया था। आग पांच मंज़िले अस्पताल के सबसे ऊपरी मंज़िल पर लगी। इस घटना में वहां
इलाज के लिए भर्ती आठ कोरोना मरीज़ों की मौत हो गयी। आग बुझाने का प्रयास करते हुए अस्पताल का एक पैरा
चिकित्सा कर्मी घायल भी हो गया। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने आग लगने के कारणों तथा सम्पूर्ण घटना की जांच
के आदेश दे दिए गए हैं। इसके लिए गठित समिति में दो वरिष्ठ आइएएस अधिकारी भी शामिल हैं।
श्री पटेल ने बताया की प्रारम्भिक अनुमान के अनुसार आग आइसीयू में किसी उपकरण में शॉर्ट सर्किट के कारण
लगी हो सकती है। जांच के लिए गठित कमिटी तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। आग को क़ाबू कर लिया गया और
बाक़ी के 41 मरीज़ों को सरकारी एसवीपी अस्पताल में भेज दिया गया। अस्पताल में क़रीब 50 कोरोना संक्रमित
मरीज़ भर्ती थे।
इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुःख प्रकट किया है तथा मृतकों के परिजनो और घायलों के लिए
आर्थिक सहायता की भी घोषणा की। मृतकों के परिजनो को दो-दो लाख और घायलों के लिए 50 हज़ार रुपए की
आर्थिक सहायता प्रधानमंत्री राहत निधि से दी जाएगी। गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस घटना पर दुःख व्यक्त
किया है। श्री पटेल ने बताया की राज्य सरकार मृतकों के परिजनो को नियमानुसार न्यूनतम 4 लाख रुपए की
सहायता देगी।
इस बीच, मृतकों की पहचान नवनीत शाह (18), लीलबेन शाह (72), नरेंद्र शाह (51), आरिस मंसूरी (42),
अरविंद भावसार (72), ज्योति सिंधी (55), मनुभाई रामी (82) और भाविन शाह (51) के रूप में की गयी है।
उधर घटना के बाद मरीज़ों के परिजनो ने अस्पताल के सामने हंगामा भी किया। इस तरह के आरोप भी लगाए जा
रहे हैं कि इस अस्पताल की अग्निशमन सुरक्षा प्रणाली सही नहीं थी और इसका कुछ हिस्सा ग़ैर क़ानूनी ढंग से
बना था। पुलिस ने अस्पताल के चार में से एक ट्रस्टी भरतभाई को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है। जांच
में विधि विज्ञान प्रयोगशाला यानी एफएसएल की टीम और अग्निशमन विभाग के विशेषज्ञों को भी जोड़ा गया है।
सीसीटीवी फूटेज भी जुटाया जा रहा है।
इस बात पर भी चिंता जतायी जा रही है कि कोरोना के रोगियों की मौजूदगी में अफ़रातफ़री वाले माहौल में हुई
इस घटना के चलते आग बुझाने वाले कर्मी भी संक्रमित हुए हो सकते हैं। कोरोना संक्रमण नियंत्रण से जुड़े राज्य
के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव गुप्ता ने कहा कि यह अस्पताल उन कुछ शुरुआती निजी अस्पतालों में था जिन्हें
कोरोना के इलाज के लिए नामित किया गया था। इसमें पूर्व में 300 से अधिक कोरोना मरीज़ों का सफल उपचार
हो चुका था। इसे केंद्र और राज्य सरकार की ओर से तय अग्निशमन सुरक्षा मानकों की जांच के बाद ही नामित
किया गया था। आगे अन्य पहलुओं की जांच की जाएगी।