गुजरात चुनाव नतीजेः मोदी के करिश्माई नेतृत्व की रोमांचक जीत

asiakhabar.com | December 19, 2017 | 5:08 pm IST

नई दिल्ली। भाजपा का विजय रथ दो कदम और आगे बढ़ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व में भाजपा ने 2017 की सबसे रोमांचक जीत हासिल की है। कांग्रेस पहाड़ से साफ हुईगुजरात में 22 वर्षों की सत्ता विरोधी लहर को धता बताते हुए भाजपा फिर से सरकार में काबिज हो गई। वहीं कांग्रेसमुक्त भारत की दिशा में बढ़ते हुए उससे हिमाचल प्रदेश के रूप में एक और राज्य छीन लिया है। इसके साथ ही कांग्रेस पहाड़ से साफ हो गई है।

जीत के साथ उठे सवाल

दोनों राज्यों के नतीजों ने कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के लिए भी एक सवाल खड़ा कर दिया है, उत्साहित हों या सचेत? गुजरात में सीटें बढ़ाने के बावजूद कांग्रेस अपनी भूलों के कारण पराजित हो गई। वहीं पिछले एक साल में पहली बार भाजपा अमित शाह के जीत के तय लक्ष्य से पीछे रह गई। उत्तर प्रदेश में नोटबंदी पर मुहर के बाद गुजरात ने जीएसटी जैसे सख्त कदम पर यूं तो ठप्पा लगा दिया है लेकिन आगाह भी कर दिया है कि कड़वी दवाई की डोज कुछ रुककर दें।

जीएसटी पर मुहर

भाजपा के लिए यह अच्छा संदेश है कि जीएसटी पर जनता ने मुहर लगा दी। शायद आगे कांग्रेस और विपक्षी दल इसे चुनावी हथियार बनाने से बचेंलेकिन कांग्रेस और भाजपा का अंतर सचेत करता है। यूं तो प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ ही दिन पहले कहा था कि वह सख्त कदम उठाते रहेंगे, चाहे इसके लिए कोई भी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़े। ऐसे में अब यह मानकर चला जा सकता है कि कोई भी बड़ा सख्त कदम कुछ रुककर उठाया जाएगा। 2019 में लोकसभा चुनाव है और भाजपा नहीं चाहेगी कि कांग्रेस और विपक्षी दलों को कोई मौका मिले।

कांग्रेस को मिला आरक्षण मुद्दे का लाभ

लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी अहम माने जा रहे गुजरात चुनाव में पाटीदार आरक्षण भी बड़ा मुद्दा रहा था और कांग्रेस को इसका फायदा भी मिला। सीटें बढ़ीं लेकिन पार्टी के बड़े नेता ही हार गए। हार्दिक के साथी, अल्पेश और जिग्नेश जरूर जीत गए। यह कांग्रेस के लिए कितना हितकर होगा, सोचने की जरूरत है। वहीं माना जा रहा है कि पटेलों के रुख के बाद गुजरात में भी भाजपा पिछड़ों पर केंद्रित रणनीति को धार देगी। पिछले तीन साढ़े तीन वर्षों में भाजपा पूरे देश में उस वर्ग को प्राथमिकता में रख रही है।

चुनावी छौंक का भी खेल

यूं तो नतीजों ने विकास की राजनीति पर मुहर लगा दिया है लेकिन यह भी गौरतलब है कि दूसरे चरण से ठीक पहले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की बदजुबानी, पाकिस्तानी नेता कसूरी के साथ कांग्रेसी नेताओं की बैठक जैसे मुद्दे भी उठे थे। नतीजों से स्पष्ट है कि भाजपा को उसका लाभ भी मिला जो यह संकेत है कि विकास के साथ-साथ चुनावी छौंक भी जरूरी है।


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