कोयला घोटाले में मधु कोड़ा को तीन साल की सजा, 25 लाख का जुर्माना

asiakhabar.com | December 16, 2017 | 5:10 pm IST

नई दिल्ली। कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में दिल्ली की विशेष सीबीआई कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को तीन साल की सजा हुई है। हालांकि, इसके ठीक बाद सभी दोषियों को दो महीने की अंतरिम जमानत भी मिल गई। अदालत ने 13 दिसंबर को कोड़ा समेत 4 लोगों को घोटाले में दोषी पाया था और सजा का फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद शनिवार को दोषियों के खिलाफ सजा का ऐलान करते हुए कोर्ट ने कोड़ा को तीन साल की सजा के साथ 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

अदालत ने मामले में मधु कोड़ा अलावा पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु, कोड़ा के करीबी विजय जोशी व कोलकाता की कंपनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआइएसयूएल) को भी दोषी पाया है।

इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष सीबीआई अदालत ने मामले में वीआईएसयूएल के निदेशक वैभव तुल्सयान, लोक सेवक बसंत कुमार भट्टाचार्या, बिपिन बिहारी सिंह और चार्टर्ड अकाउंटेंट नवीन कुमार तुल्सयान को बरी कर दिया। यह मामला झारखंड में पलामू स्थित राजहरा नॉर्थ कोल ब्लॉक का आवंटन कोलकाता स्थित वीआईएसयूएल को देने में अनियमितताओं से जुड़ा है।

ये हैं सीबीआई के आरोप :

सीबीआई के अनुसार वीआईएसयूएल ने आठ जनवरी 2007 को राजहरा नॉर्थ कोल ब्लॉक के लिए आवेदन किया था। झारखंड सरकार और इस्पात मंत्रालय ने कंपनी को कोल ब्लॉक आवंटित नहीं करने की अनुशंसा की थी, लेकिन तत्कालीन कोयला सचिव एचसी गुप्ता और झारखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु की सदस्यता वाली 36वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने अपने स्तर पर ही इस ब्लॉक को आवंटित करने की सिफारिश कर दी।

इसी को आधार बनाकर बाद में झारखंड की तत्कालीन मधु कोड़ा सरकार ने इस कोल ब्लॉक को कंपनी को आवंटित कर दिया। उस समय एचसी गुप्ता ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी अंधेरे में रखा।

उन्होंने इस तथ्य को छिपाया कि झारखंड सरकार ने वीआइएसयूएल को कोल ब्लॉक आवंटित नहीं करने की सिफारिश की है। सीबीआई का कहना था कि कोड़ा, बसु और दो अन्य ने वीआईएसयूएल को कोल ब्लॉक आवंटित कराने के लिए साजिश रची थी।

जांच एजेंसी ने सभी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 409 (सरकारी कर्मचारी द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा के तहत आरोप तय किए थे।

सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ का नुकसान :

कैग (भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) ने मार्च 2012 में अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में तत्कालीन संप्रग सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने 2004 से 2009 तक की अवधि में कोल ब्लॉक का आवंटन गलत तरीके से किया है। इससे सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कैग रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने कई फर्मो को बिना किसी नीलामी के कोल ब्लॉक आवंटित किए थे।

घोटाले में कब क्या हुआ

दिसंबर 2014 – सीबीआई ने कोर्ट में दायर की चार्जशीट।

21 जनवरी 2015- कोर्ट ने मधु कोड़ा समेत अन्य को आरोपी के तौर पर समन जारी किया।

18 फरवरी 2015 – कोर्ट में पेश होने के बाद राहत की मांग करने पर आरोपियों को मिली जमानत।

14 जुलाई 2015- कोर्ट ने मधु कोड़ा समेत अन्य आरोपियों पर आरोप तय करने के आदेश दिए।

31 जुलाई 2015- कोर्ट ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए।

11 जुलाई 2017 – कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी की।

5 दिसंबर 2017 – कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा।

13 दिसंबर 2017- कोर्ट ने कोड़ा और अन्य को दोषी पाया।

जानिए पूरा मामला है क्या?

यह मामला झारखंड में राजहरा नॉर्थ कोयला ब्लॉक को कोलकाता की विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) को आवंटित करने में कथित अनियमिताओं से संबंधित है।

मधु कोड़ा, एचसी गुप्ता और कंपनी के अलावा, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव ए के बसु, बसंत कुमार भट्टाचार्य, बिपिन बिहारी सिंह, वीआईएसयूएल के निदेशक वैभव तुलस्यान, कोड़ा के कथित करीबी सहयोगी विजय जोशी और चार्टर्ड अकाउंटेंट नवीन कुमार तुलस्यान पर घोटाले के आरोप लगे।

सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा था कि कंपनी ने 8 जनवरी, 2007 को राजहरा नॉर्थ कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए आवेदन किया था।

सीबीआई ने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार और इस्पात मंत्रालय ने वीआईएसयूएल को कोयला खंड आवंटन करने की सिफारिश नहीं की बल्कि 36वीं अनुवीक्षण समिति (स्क्रींनिग कमेटी) ने आरोपित कंपनी को खंड आवंटित करने की सिफारिश की थी।

तथ्‍यों को भी छुपाया गया

सीबीआई ने जांच के बाद यह कहा कि अनुवीक्षण समिति के अध्यक्ष ने कोयला मंत्रालय का प्रभार देख रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कथित तौर पर इन तथ्यों को छुपाया कि झारखंड सरकार ने वीआईएसयूएल को कोयला ब्लॉक आवंटन करने की सिफारिश नहीं की थी।

आरोप लगे कि कोड़ा, बसु और दो आरोपी लोकसेवकों ने वीआईएसयूएल को कोयला ब्लॉक आवंटित करने के पक्ष में साजिश रची थी। जिसके बाद बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी करार दिया।


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