नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ
कोविंद के चुने हुए भाषणों के संकलन ‘लोकतंत्र के स्वर (खंड-2)’ और ‘द रिपब्लिकन एथिक (वॉल्यूम-2)’
का विमोचन किया जिसे सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग ने प्रकाशित किया है। इस
अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा ‘‘वसुधैव कुटुम्कबम भारतीय संस्कृति के मूल में रहा है। भारत सबसे बड़ा
संसदीय लोकतंत्र है और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की इनमें गहरी आस्था रही है।’’ उन्होंने कहा कि
राष्ट्रपति के विचार हमारे मार्गदर्शक हैं जिनमें उन्होंने कहा है कि हम अपने लोकतांत्रिक लक्ष्यों को
लोकतांत्रित तरीके से, बहुलतावादी लक्ष्यों को बहुलतावाद के आधार पर, समावेशी लक्ष्यों को समावेशी
तरीके से और संवैधानिक लक्ष्यों को संवैधानिक तरीके से हासिल कर सकते हैं।
नायडू ने कहा, ‘‘उन्होंने हमें स्मरण कराया कि वैज्ञानिक देश को विज्ञान के क्षेत्र में आगे ले जा रहे हैं,
बहादुर जवान देश की सीमाओं की रक्षा को तत्पर है और अन्नदाता किसान का अत्यंत महत्वपूर्ण
योगदान है। इसलिये देश का नारा ‘जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान’ है।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा
‘‘राष्ट्रपति के भाषणों में शिक्षा से जुड़े विषयों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। उनके विचार से शैक्षणिक
संस्थान डिग्री जारी करने की फैक्टरी नहीं बल्कि नवोन्मेष के केंद्र बनें तथा विश्वविद्यालय न्यू इंडिया
का पावर हाउस बनें।’’ उन्होंने कहा कि कोविंद संस्कृत शब्द है जिनका मतलब विशेषज्ञ होता है और
हमारे राष्ट्रपति का ज्ञान, आचार, व्यवहार अनुकरणीय है। नायडू ने कहा कि एक ऐसे देश में, जहां इतने
राज्य है, जहां 700 से ज्यादा बोलियां बोली जाती हैं, ऐसे में राष्ट्रपति का समावेशी विकास पर जोर
महत्वपूर्ण है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मेरा पूरी तरह से मानना है कि भारत इतिहास के महत्वपूर्ण पड़ाव पर है जहां से
वह समावेशी विकास की दिशा में बड़ा कदम उठा सकता है। यह सही है कि इसमें बड़ी चुनौतियां और
बाधाएं हैं। लेकिन हमारा देश अभूतपूर्व प्रतिभाओं से भरा है।’’ उन्होंने कहा कि हमारे पास आइडिया हैं,
नवोन्मेषी क्षमताएं हैं, हमें इनके साथ ऐसा माहौल तैयार करना है जो शानदार बुनियाद पर निर्मित हो।
नायडू ने कहा कि स्वच्छ भारत, कौशल सम्पन्न भारत, नवोन्मेषी भारत, फिट इंडिया तथा मजबूत,
सशक्त एवं सौहार्द से परिपूर्ण भारत के राष्ट्रपति कोविंद के सपने को हम सभी साझा करते हैं।
पाकिस्तान का नाम लिये बिना उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से उकसाये जाने के बावजूद भारत ने
आक्रमण नहीं किया है लेकिन, उकसाने वालों समेत सभी को यह बात समझ लेनी चाहिये कि यदि कोई
हम पर आक्रमण करता है तो उसे मुँहतोड़ जवाब दिया जायेगा जिसे आक्रमण करने वाला जिंदगी भर
नहीं भूल सकेगा। श्री नायडू ने कहा कि राष्ट्रपति के भाषणों के संकलन को प्रकाशित करने का उद्देश्य
उनके विचारों को आम लोगों तक पहुँचाना है। उनके भाषणों में देश की विविधता की झलक मिलती है।
इनमें श्री कोविंद की स्पष्ट सोच तथा विश्लेषण क्षमता भी परिलक्षित होती है।
उपराष्ट्रपति ने जिन पुस्तकों का विमोचन किया है वे राष्ट्रपति कोविंद के पद संभालने के बाद जुलाई,
2018 से जुलाई, 2019 तक दिए गए 95 भाषणों का संकलन हैं। इस समारोह में सूचना और प्रसारण
मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा ‘‘राष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के दूसरे वर्ष में जो भाषण दिये हैं, उन्हें दो
पुस्तकों के रूप में प्रकाशित किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि उनके 95 भाषणों को 8 श्रेणियों में विभक्त
कर प्रकाशित किया गया है जो दुनिया के संदर्भ में भारत की विश्व दृष्टि को स्पष्ट करते हैं। इसमें
शिक्षा के बारे में उनकी शानदार सोच भी सामने आती है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि राष्ट्रपति ने अभाव और विषमता
देखी है और ऐसे में उन्होंने सामाजिक सरोकारों पर खास जोर दिया है। राष्ट्रपति के भाषणों को आठ
श्रेणियों में ‘राष्ट्र को संबोधन’, ‘विश्व का व्यापक परिदृश्य’, ‘भारत में शिक्षा : भारत को समर्थ बनाना’,
‘जनसेवा का धर्म’, ‘हमारे प्रहरियों का सम्मान’, ‘संविधान और कानून की भावना’, ‘उत्कृष्टता को
स्वीकारना’ और ‘महात्मा गांधी : नैतिक प्रतिमान, अन्य लोगों के प्रेरक’ में विभाजित किया गया है। इन
भाषणों में सुशासन के लिए कूटनीति पर ध्यान देने से लेकर, उत्कृष्टता के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान
करना और बहादुर सैनिकों के कल्याण से लेकर संविधान की महत्वपूर्ण भावना जैसे विषयों को शामिल
किया गया है। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को ध्यान में रखते हुए, गांधीवादी विचारों से जुड़े भाषणों
की एक अलग श्रेणी इसमें शामिल की गयी है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग
द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में श्री कोविंद के 95 भाषणों को आठ वृहद श्रेणियों के तहत रखा गया है।
एक श्रेणी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर भी है जिसे ‘बापू’ नाम दिया गया है। इसमें बापू के प्रति श्री
कोविंद के विचारों को पेश किया गया है। शिक्षा, संस्कृति तथा नौकरशाही, संसद में भाषण और भारत
नाम से भी पुस्तक में श्रेणियाँ बनायी गयी हैं। उन्होंने श्री कोविंद को ‘बहुत गंभीर विचार करने वाला
व्यक्तित्व’ बताया और कहा कि ‘लोकतंत्र के स्वर (खंड-2)’ अमेजन किंडल ऐप तथा अन्य ई-प्लेटफॉर्मों
पर भी उपलब्ध है।
श्री कोविंद के कार्यकाल के प्रथम वर्ष के भाषणों का संकलन ‘लोकतंत्र के स्वर (खंड-1)’ नाम से प्रकाशित
हुआ था। उसका लोकार्पण भी श्री नायडू ने ही किया था। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद
गहलोत ने श्री कोविंद को आम लोगों का राष्ट्रपति बताते हुए कहा कि गाँव के कच्चे घर से राष्ट्रपति
भवन तक की यात्रा में वह कभी अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं। उन्हें भारतीय जीवन की गहरी समझ है
और सामाजिक न्याय के संघर्ष के लिए उनका जीवन प्रेरणा स्रोत रहा है। अपने अनेक भाषणों में उन्होंने
जन-जन के लिए न्याय सुनिश्चित करने पर जोर दिया है। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण सचिव
अमित खरे, प्रकाशन विभाग की महानिदेशक साधना राउत और श्री कोविंद के परिवार के सदस्य भी
मौजूद थे।