नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए मंगलवार को कहा
कि विपक्षी पार्टी एक तरह से शहरी नक्सलियों के नियंत्रण में आ गयी है तथा लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा
परिवारवादी पार्टियों से है। उन्होंने विपक्षी पार्टी को सुझाव दिया कि वह अपना नाम ‘‘इंडियन नेशनल कांग्रेस’’ से
बदलकर ‘‘फेडरेशन ऑफ कांग्रेस’’ कर ले।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिये बिना उनके इस बात पर प्रहार करते
हुए कही कि ‘‘भारत राष्ट्र नहीं है और यह राज्यों का संघ है’’। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद
प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि चर्चा के दौरान कई सदस्यों ने लोकतंत्र पर खतरे की बात
कही लेकिन वह यह भूल गए कि यह लोकतंत्र उनकी मेहरबानी से नहीं है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक तरह से शहरी (अर्बन) नक्सलियों के कब्जे में है और वे उसके विचारों एवं विचारधारा
को नियंत्रित कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री की बातों का कांग्रेस ने कड़ा प्रतिकार किया और फिर सदन से बहिर्गमन किया।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि देश में आपातकाल थोंपने वालों को और लोकतंत्र का गला घोटने
वाले को लोकतंत्र पर उपदेश देने का अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत लोकतंत्र की जननी है और दुनिया में इसकी चर्चा होती है लेकिन कांग्रेस की कठिनाई है कि
परिवारवाद के आगे उन्होंने कुछ सोचा ही नहीं…भारत के लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा परिवारवादी पार्टियों से है,
यह मानना पड़ेगा।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब किसी पार्टी में कोई एक परिवार सर्वोपरि हो जाता है तो इसका सबसे पहला नुकसान
प्रतिभा का होती है।
प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक दलों से अपने-अपने राजनीतिक दलों में लोकतांत्रिक आदर्शों व मूल्यों को विकसित
करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की सबसे पुरानी पार्टी के रूप में कांग्रेस को तो इसकी जिम्मेवारी जरूर उठानी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि देश की आजादी के बाद कांग्रेस को विलुप्त करने की
बात कही थी और ऐसा हो गया होता तो दशकों तक देश को विभिन्न समस्याओं से दो-चार ना होना पड़ता।
उन्होंने कहा कि अगर महात्मा गांधी की इच्छा के अनुसार कांग्रेस ना होती तो लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता है
और भारत विदेशी के बजाए स्वदेशी संकल्पों के रास्ते पर चलता।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कांग्रेस ना होती तो आपातकाल का कलंक ना होता…अगर कांग्रेस ना होती तो दशकों तक
भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाकर नहीं रखा जाता… अगर कांग्रेस ना होती तो जातिवाद और क्षेत्रवाद की खाई इतनी
गहरी ना होती… अगर कांग्रेस ना होती तो सिखों का नरसंहार ना होता… सालों साल पंजाब आतंकवाद की आग में
जलता…कश्मीर के पंडितों को कश्मीर छोड़ने की नौबत ना आती है… अगर कांग्रेस ना होती तो बेटियों को तंदूर में
जलाने की घटनाएं ना होती… अगर कांग्रेस ना होती देश के सामान्य जन को सड़क, बिजली, पानी और शौचालय
की मूलभूत सुविधाओं के लिए इतने सालों तक इंतजार करना पड़ता है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस जब तक सत्ता में रही तो उसने देश का विकास नहीं होने दिया और आज जब विपक्ष
में है तो वह देश के विकास में बाधा डाल रही है।
राहुल गांधी के ‘‘भारत राष्ट्र नहीं है और यह राज्यों का संघ है’’ संबंधी बयान की ओर इंगित करते हुए प्रधानमंत्री
ने कहा कि अब तो कांग्रेस को भारत के लिए ‘‘राष्ट्र’’ पर भी आपत्ति है।
उन्होंने कहा कि यह कल्पना ‘‘गैर संवैधानिक’’ है।
उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा कि कांग्रेस को राष्ट्र शब्द से इतनी ही आपत्ति है तो उसने अपने दल के नाम में
राष्ट्रीय क्यों रखा है।
उन्होंने कहा, ‘‘तो आपकी पार्टी का नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस क्यों रखा गया है। आपको नई सोच आई है तो
इंडियन नेशनल कांग्रेस नाम बदल दीजिए और फेडरेशन ऑफ कांग्रेस कर लीजिए। अपने पूर्वजों की गलती को
सुधार दीजिए।’’
प्रधानमंत्री की इन बातों का कांग्रेस के सदस्यों ने विरोध किया और कुछ देर हंगामा करने के बाद उसके सभी
सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए।
उनके सदन से बाहर जाने के बाद भी प्रधानमंत्री का कांग्रेस पर हमला जारी रहा।
उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र में सिर्फ सुनाना ही नहीं होता है, सुनना भी लोकतंत्र का हिस्सा होता है। लेकिन सालों तक
उपदेश देने की आदत रही है उनकी। इसलिए बातें सुनने में मुश्किल हो रही है उन्हें।’’