विनय गुप्ता
नई दिल्ली। भारत एवं चीन के नेता शुक्रवार को तमिलनाडु के तटीय मंदिरों के
प्राचीन नगर मामल्लापुरम में जब मिलेंगे तो उनके बीच जम्मू कश्मीर और अनुच्छेद 370 के मसले से
परे जा कर सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाये रखने के अतिरिक्त उपायों के अलावा व्यापार असंतुलन
दूर करने और जनता के बीच संपर्क एवं आदान-प्रदान बढ़ाने के बारे में बातचीत होने की संभावना है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 11 एवं 12 अक्टूबर के भारत दौरे के पहले आधिकारिक सूत्रों ने आज
यहां बताया कि श्री जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता जम्मू
कश्मीर के मुद्दे से परे जाकर होगी और भारत एवं चीन के संबंधों को आगे ले जाने के बारे में होगी।
चीनी पक्ष ने भी इसी रुख का इजहार किया है।
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के बारे में चीन के रुख को लेकर एक सवाल पर सूत्रों ने कहा कि चीन
को भारत का पक्ष स्पष्टता से समझाया जा चुका है। यह भारत का आंतरिक मामला है और किसी
संवैधानिक अनुच्छेद के बारे में निर्णय करना उसका संप्रभु अधिकार है तथा किसी तीसरे देश को इस
विषय को उठाने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए ऐसा लगता नहीं है कि चीनी राष्ट्रपति इस पर चर्चा
करेंगे लेकिन यदि वह इस बारे में कुछ ‘समझना’ चाहेंगे तो हम उन्हें बताएंगे। लद्दाख को केन्द्र शासित
प्रदेश घोषित करने का प्रश्न है तो यह वहां के लोगों की पुरानी मांग थी।
समझा जाता है कि चीन अगर जम्मू कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के रुख को मजबूत करने की कोशिश
करेगा तो भारत तिब्बत पर चीन के अधिकार को लेकर सवालों को खड़े होने देगा। सूत्रों ने कहा कि दोनों
नेताओं की बातचीत में कारोबार एक अहम बिन्दु होगा। व्यापारिक असंतुलन अब भी चिंता का कारण है।
भारतीय कृषि एवं खाद्य पदार्थों को चीनी बाज़ार में पहुंच को लेकर भी दोनों देशों के बीच बातचीत हो
रही है। रक्षा एवं सुरक्षा के विषय में सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाये रखने के लिए परस्पर विश्वास
कायम करने के अतिरिक्त उपायों को लागू करने पर चर्चा होगी। दोनों देशों के बीच इसी वर्ष द्विपक्षीय
संयुक्त आतंकवाद निरोधक सैन्य अभ्यास होना है।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों की जनता के बीच आपसी संपर्क को बढ़ाने पर भी विशेष जोर होगा। हमारा
मानना है कि दोनों देशों के लोगों में एक दूसरे के यहां जनता के बीच होने वाली गतिविधियों की
जानकारी पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा दोनों नेता क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर भी बात करेंगे जिनमें
विश्व व्यापार संगठन द्वारा वैश्विक व्यापार पहल से पीछे हटने और संयुक्त राष्ट्र में 21वीं सदी की
वास्तविकताओं के अनुरूप सुधार करने के मुद्दे शामिल होंगे।