श्रीनगर/नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के चार सैनिकों को मंगलवार को उनके पैतृक गांवों में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उनके नमाज-ए-जनाजे में हजारों लोगों ने शामिल होकर नम आंखों से विदाई दी। सेना के सुंजवां कैंप पर हमले में शहीद इन जवानों के जनाजों में शामिल लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश देखा गया। इस दौरान पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे गूंजे। जैश- ए- मोहम्मद के प्रभाव वाले त्राल में लोग आतंकियों का खुलकर विरोध करते दिखे। इसी त्राल में 2016 में आतंकी बुरहानी वानी की मौत पर हिंसा भड़क उठी थी।
शहीद बेटे के साथ पिता भी दफन
दक्षिणी कश्मीर के त्राल क्षेत्र के शहीद मोहम्मद इकबाल शेख व हमले में मारे गए उनके पिता मोहिउद्दीन शेख के पार्थिव शरीर जब दोपहर बाद उनके पैतृक गांव पहुंचे तो सभी गमगीन हो गए। इकबाल (32) की पत्नी शबनम का रो-रोकर बुरा हाल था। वह 12 साल से सेना में थे। दो साल पहले ही शादी हुई थी। उनका 18 माह का बेटा है। इकबाल की पहली बार गृह राज्य में पोस्टिंग हुई थी। इसलिए उन्होंने पिता को कैंप में साथ रहने खासतौर से बुलाया था।
अनंतनाग में भी यही मंजर था, जब वहां शहीद मंजूर अहमद देवा का पार्थिव शरीर पहुंचा। उन्हें भी हजारों लोगों ने नम आंखों के साथ विदा किया। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के लोलाब व हैहामा में भी शहीद हबीबुल्लाह कुरैशी व मोहम्मद अशरफ मीर को हजारों लोगों ने अंतिम विदाई दी।
सुंजवां में एक और जवान का शव मिला, कुल छह शहीद
सुंजवां में सेना के कैंप पर फिदायीन हमले में शहीदों की संख्या छह हो गई है। परिसर की तलाशी के दौरान सोमवार रात एक और जवान का शव मिला। जवान की पहचान सेना की छह महार रेजीमेंट के हवलदार राकेश चंद्रा निवासी संकर, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड के रूप में हुई है। उनका शव सेना के क्वार्टरों के पीछे स्थित पेड़ों व झाड़ियों के बीच पड़ा था।
श्रीनगर में 32 घंटे चली मुठभेड़, दोनों आतंकी ढेर
उधर, श्रीनगर के कर्णनगर में सोमवार को शुरू हुई मुठभेड़ लगभग 32 घंटे बाद मंगलवार दोपहर को लश्कर के दोनों आतंकियों के मारे जाने के साथ खत्म हो गई। मारे गए आतंकियों के पाकिस्तानी होने की संभावना जताई जा रही है। उनके पास से दो असॉल्ट राइफलें, आठ मैगजीन और लश्कर का साहित्य मिला है। इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ का एक जवान मुजाहिद खान शहीद व एक अन्य जवान घायल हो गया था।
एक संतरी ने विफल की साजिश
आईजी सीआरपीएफ रविदीप सिंह साही ने कहा कि श्रीनगर के कर्णनगर में सफल अभियान का श्रेय हमारे संतरी को जाता है। अगर वह सजग नहीं होता तो आतंकी वाहिनी मुख्यालय में दाखिल हो जाते और बहुत नुकसान होता। संतरी को पुरस्कृत किया जाएगा।