नई दिल्ली। इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को दिल्ली में रायसीना डायलॉक के शुभारंभ पर कहा कि कमजोर देश टिक नहीं पाते, जो मजबूत होता है वही आगे बढ़ता है। उन्होंने इस दौरान कट्टर इस्लाम और आतंकवाद को वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया।
घरेलू राजनीति में दक्षिणपंथी नेता माने जाने वाले नेतन्याहू ने कहा कि इसराइल के सामने मजबूत राष्ट्र बनने के अलावा कोई चारा नहीं था। क्योंकि एक मजबूत देश ही आगे बढ़ता है और मजबूत देश के साथ ही शांति की कोशिश की जाती है। कमजोर देश खत्म हो जाता है। ऐसे में इसराइल ने सबसे पहले सैन्य ताकत हासिल की, फिर उसने आर्थिक ताकत हासिल की और अब राजनीतिक ताकत हासिल करने की कोशिश कर रहा है। मूल्यों को उन्होंने चौथी शक्ति करार दिया और लोकतंत्र को किसी देश का सबसे सशक्त मूल्य करार दिया।
अपने 20 मिनट के बेहद सारगर्भित भाषण में नेतन्याहू ने न सिर्फ यह बताया कि एक छोटा-सा देश इसराइल किस तरह से आज दुनिया में एक बड़ी ताकत बन गया बल्कि भारत, यहां की जनता और पीएम मोदी के प्रति अपनी गर्मजोशी दिखाने में भी कोई कमी नहीं की।
श्रोताओं की पहली पंक्ति में बैठे थे पीएम मोदी
रायसीना डायलॉग को भारत में कूटनीति, आतंकवाद व अन्य वैश्विक समस्याओं पर चर्चा का महाकुंभ कहा जा रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस समारोह के लिए नेतन्याहू का स्वागत किया और जब इसराइली पीएम भाषण दे रहे थे तब मोदी श्रोताओं की पहली पंक्ति में बैठे थे। भारत में मिले आवभगत से अभिभूत नेतन्याहू ने पीएम मोदी की मित्रता के गुणगान में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।
मोदी के अर्थव्यवस्था बढ़ाने की कोशिश के मुरीद नेतन्याहू
उन्होंने कहा कि इसराइल भारत के प्रति प्राकृतिक तौर पर आदर का भाव रखता है। यह एक स्वाभाविक दोस्ती है। मोदी को एक महान राजनयिक बताते हुए कहा कि वे जिस तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं उसके वे भी मुरीद हैं। भारत को एक और सीख उन्होंने यह दी कि आने वाला कल सिर्फ उन्हीं का होगा जो ज्यादा से ज्यादा नई तकनीकी के लिए शोध विकास करेगा। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुभारंभ कार्यक्रम का धन्यवाद प्रस्ताव पेश कर किया।