नई दिल्ली। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने 19 चिह्नित एकल-उपयोग
प्लास्टिक (एसयूपी) वस्तुओं पर प्रतिबंध के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है
और सोमवार से इसका उल्लंघन करने वाली इकाइयों को बंद करना शुरू कर देगी। यह जानकारी अधिकारियों ने
दी।
एक अधिकारी ने रविवार को कहा कि नियंत्रण कक्ष एसयूपी प्रतिबंध के उल्लंघन से संबंधित सभी शिकायतें प्राप्त
करेगा और प्रवर्तन टीमों को कार्रवाई करने का निर्देश देगा। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि डीपीसीसी का अधिदेश एसयूपी
वस्तुओं के निर्माण को नियंत्रित रखना है, लेकिन बाजारों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिबंध के उल्लंघन से
संबंधित शिकायतें भी हमारे नियंत्रण कक्ष को भेजी जा सकती हैं। हम इसे संबंधित नगर निकायों को भेज देंगे।’’
उल्लंघन के संबंध में शिकायतें दिल्ली सरकार के ‘ग्रीन दिल्ली’ ऐप्लीकेशन या केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के
“एसयूपी-सीपीसीबी” एप्लीकेशन के माध्यम से भी दर्ज करायी जा सकती हैं। अधिकारी ने कहा, ‘‘हम कानून के
प्रासंगिक प्रावधानों के तहत सोमवार से प्रतिबंध का उल्लंघन करने वाली इकाइयों को बंद करना शुरू कर देंगे। और
कोई चेतावनी नहीं दी जाएगी।’’
एक जुलाई को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि दिल्ली सरकार एकल उपयोग वाली प्लास्टिक
(एसयूपी) की 19 वस्तुओं पर प्रतिबंध का उल्लंघन करने वाली इकाइयों को 10 जुलाई तक चेतावनी नोटिस जारी
करेगी और इसके बाद फिर से ऐसा करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा था, ‘‘प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत एक लाख रुपये तक
का जुर्माना या पांच साल तक की जेल या दोनों हो सकते हैं।’’ उन्होंने कहा था कि हालांकि, सरकार एसयूपी
वस्तुओं के उपयोग के खिलाफ जागरूकता पैदा करने और लोगों को उनके विकल्प प्रदान करने को सर्वोच्च
प्राथमिकता देगी।
राजस्व विभाग और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने प्रतिबंध को लागू करने के लिए क्रमशः 33 और 15 टीमों
का गठन किया है। डीपीसीसी को उसके अनुरूप क्षेत्रों में प्रतिबंध का अनुपालन सुनिश्चित करना है, जबकि एमसीडी
और अन्य स्थानीय निकाय अनौपचारिक क्षेत्र में इसके कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार हैं।
एमसीडी और अन्य शहरी स्थानीय निकाय अपने उपनियमों के अनुसार चूक करने वाली इकाइयों के खिलाफ
कार्रवाई करेंगे, जबकि राजस्व विभाग पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई करेगा। प्रवर्तन अभियान के
दौरान जब्त की गयी एसयूपी चीजों को ‘अपशिष्ट से ऊर्जा’ बनाने वाले संयंत्रों में भस्म कर दिया जाएगा ताकि यह
सुनिश्चित हो सके कि वे लैंडफिल या रुके हुए जल निकायों में नहीं जाएं।