संजय चौधरी
नई दिल्ली। मिसाइलों के लगातार परीक्षणों के क्रम में गुरुवार को सुबह-सुबह भारत ने
पोखरण में एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल 'नाग' की तीसरी पीढ़ी का आखिरी ट्रायल एक वारहेड के साथ पूरा करके एक
और कामयाबी हासिल की। भारत ने करीब एक महीने में अलग-अलग तरीके की आधा दर्जन से अधिक ऐसी ही
स्वदेशी मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इस स्वदेशी
मिसाइल का परीक्षण पोखरण में आज सुबह 06.45 बजे किया। यह एंटी टैंक मिसाइल दुश्मन के टैंक समेत अन्य
सैन्य वाहनों को सेकेंडों में समाप्त कर सकती है। इससे पहले भी अलग-अलग तरीके की नाग मिसाइलों के परीक्षण
2017, 2018 और 2019 में किये जा चुके हैं। हर बार इसमें कुछ नया जोड़ा जाता रहा है।पूरी तरह से देसी
नाग मिसाइल वजन में काफी हल्की, मीडियम और छोटी रेंज की है जो फाइटर जेट, वॉर शिप समेत अन्य कई
संसाधनों के साथ काम करती है। आज एक वारहेड के साथ नाग मिसाइल की तीसरी पीढ़ी का आखिरी परीक्षण
किया गया है। इसमें अचूक निशाना लगाने की क्षमता है और दुश्मन के टैंक को नेस्तानाबूद कर सकती है। यह
आधुनिक मिसाइल बड़े टैंक्स को किसी भी मौसम में निशाना बना सकती है। कई खूबियों के अलावा इसमें इंफ्रारेड
भी है जो लॉन्च से पहले टारगेट को लॉक करता है। इसके बाद नाग अचानक ऊपर उठती है और फिर तेजी से
टारगेट के एंगल पर मुड़कर उसकी ओर चल देती है। लक्ष्य भेदने की इसकी क्षमता काफी सटीक है। ये वजन में
काफी हल्की होती है लेकिन इसके बावजूद दुश्मन के टैंक समेत अन्य सैन्य वाहनों को सेकेंडों में समाप्त कर
सकती है। यह उन पांच मिसाइल प्रणालियों में से एक है जो भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा
एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित की गई है। इसका विकास 300 करोड़ की लागत से
किया गया है। इसकी मारक क्षमता 4 किमी. तक है। इसका पहला सफल परीक्षण नवम्बर 1990 में किया गया
था। इसे 'दागो और भूल जाओ' टैंक रोधी मिसाइल भी कहा जाता है क्योंकि एक बार इसे दागे जाने के बाद पुनः
निर्देशित कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती। 18 जुलाई 2019 को भी डीआरडीओ ने पोखरण के फायरिंग रेंज में
नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। इस तरह की मिसाइलों के अलग-अलग ट्रायल किए
जाते हैं। इसी क्रम में एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल 'नाग' की तीसरी पीढ़ी का आज आखिरी ट्रायल किया गया है।