बलरामपुर, 29 मई । उत्तर प्रदेश सरकार सभी वन्य ग्रामों को राजस्व ग्रामों का दर्जा देगी। इन ग्रामों में शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जाएगा। यह ऐलान रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। योगी रविवार को दीन दयाल शोध संस्थान द्वारा पचपेड़वा के इमलिया कोड़र में महाराणा प्रताप की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, थारू जनजाति महाराणा प्रताप को अपना पूर्वज मानती है। देश की सीमा पर मौजूद थारू जनजाति के लोग देश की सेवा में लगे हैं। देश की जनता ने जयचंद को अपना आदर्श नहीं माना। देश ने महाराणा प्रताप, शिवाजी व लक्ष्मीबाई जैसे लोगों को आदर्श माना। योगी ने कहा, मुझे प्रसन्नता है कि विपरीत परिस्थितियों में थारू जनजाति को समाज को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास स्वयंसेवी संगठन कर रहा है। थारू जनजाति उत्थान के लिए जो प्रयास होने चाहिए थे, वह नहीं किए गए। मेरा जनजाति ग्राम इमलिया कोड़र आने का उद्देश्य है, जिससे स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के साथ बैठकर विकास में बेहद पिछड़े इस क्षेत्र के लिए योजना बना सकूं। उन्होंने कहा, मैं क्षेत्र के विकास के लिए क्या कार्ययोजना हो सकती है, इसकी रूपरेखा तय करने के लिए यहां आया हूं। यहां के अधिकारियों व जन प्रतिनिधियों से बात करके उसे क्रियान्वित किया जाएगा। क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं का स्तर सुधारना मेरा लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी देश तभी विकसित माना जाएगा, जब वहां का हर नागरिक मूलभूत सुविधाओं के साथ सुखमय जीवन जी रहा हो। उन्होंने कहा, उनकी सरकार प्रदेश के सभी वन्य गांवों को राजस्व गांव का दर्जा देने का काम कर रही है। पूर्ववर्ती सरकार ने सिर्फ नोटीफिकेशन जारी किया था। हम इन गांवों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का काम करेंगे। बलरामपुर के सभी वन्य गांवों को स्वास्थ्य एवं शिक्षा के संसाधनों से आच्छादित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने थारू जनजाति के बच्चों के लिए संचालित स्कूल को कक्षा 12वीं तक की मान्यता देने की घोषणा करते हुए कहा कि जल्द ही सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी।