उत्तर प्रदेश सरकार दलितों और पिछड़ों के आरक्षण में बंटवारे को जल्द ही मंजूरी देने जा रही है। सामाजिक न्याय समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए शासन स्तर पर सहमति बन गई है। जल्द ही कैबिनेट में इसे रखा जाएगा। समाज कल्याण विभाग मसौदा बना रहा है। इससे अनुसूचित जाति-जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग की उन जातियों को आरक्षण का पूरा लाभ मिल सकेगा, जो अब तक आरक्षण के फायदे से वंचित रही हैं।
दलितों के लिए हुकुम सिंह कमेटी की सिफारिशें: योगी सरकार ने दलितों के आरक्षण का नये सिरे से निर्धारण करने के लिए कोई सामाजिक न्याय समिति नहीं बनाई। राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में 2001 में तत्कालीन मंत्री हुकुम सिंह की अध्यक्षता में सामाजिक न्याय समिति बनी थी। इसने अपनी सिफारिशों में दलितों के आरक्षण को दो श्रेणियों में बांटकर नये सिरे से आरक्षण का निर्धारण की जरूरत जतायी थी। उसे ही लागू करने की तैयारी है। समिति ने अनुसूचित जनजाति का हिस्सा एक प्रतिशत करने की सिफारिश की थी।
ओबीसी पर योगी ने बनाई थी नई समिति: योगी ने ओबीसी आरक्षण को नये सिरे से तय कराने के लिए सामाजिक न्याय समिति गठित की थी। समिति ने पिछले साल दिसंबर में सरकार को रिपोर्ट सौंपी। बताते चलें कि आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने 27 नवंबर 2018 के अंक में इस बाबत विस्तृत रिपोर्ट छापी थी। इसमें कहा गया कि 79 पिछड़ी जातियों को 3 हिस्सों में बांटकर आरक्षण दिया जाए। माना जा रहा है कि हुकुम सिंह कमेटी और ओबीसी की सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को मिलाकर नये सिरे से कोटा तय होगा।
इन राज्यों में है कोटे में कोटा
कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कोटे में कोटे की व्यवस्था लागू है।
ओबीसी का वर्गीकरण
पहली श्रेणी-कुर्मी, यादव, चौरसिया
दूसरी-कुशवाहा, शाक्य, लोध, शाहू, तेली, गुज्जर, माली आदि
तीसरी-राजभर, मल्लाह, बिंद, घोसी आदि
अनुसूचित जाति का वर्गीकरण
अनुसूची ‘अ’-चमार-धूसिया-जाटव
अनुसूची ‘ब’-वाल्मीकि, धानुक, खटिक, धोबी सहित 65 जातियां
सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू होने के बाद अब तक आरक्षण से वंचित जातियों के बड़े वर्ग को लाभ होगा।
-रमापति शास्त्री, समाज कल्याण मंत्री उ.प्र.
क्या कहते हैं समाजशास्त्री
आरक्षण के समुचित लाभ से अब तक वंचित रही जातियों को न्याय तभी मिल सकेगा जब सामाजिक न्याय समिति के पूरे फार्मूले पर ईमानदारी से अमल हो।
-प्रो. डी.आर. साहू, समाजशास्त्री, लखनऊ विवि
कई दलित व ओबीसी जातियां आरक्षण के दायरे में आते हुए भी अवसरों से वंचित हैं। अभी तक दलित व ओबीसी की सत्ता में रहने वाली जातियों ने ही आरक्षण का लाभ उठाया है। -डॉ. कौलेश्वर प्रियदर्शी, एसो. प्रोफेसर,गोरखपुर विवि