विनय गुप्ता
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि आतंक के दम पर तोड़ने वाली
शक्तियां भले ही कुछ समय के लिए हावी हो जाएं लेकिन उनका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता और वह मानवता
को दबाकर नहीं रख सकतीं। प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर से जुड़ी कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने
के बाद अपने संबोधन में मोदी ने यह बात कही।
प्रधानमंत्री का यह बयान बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऐसे समय में आया है जब पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान पर
तालिबान ने कब्जा कर लिया है। प्रधानमंत्री के इस बयान को अफगानिस्तान की परिस्थितियों से जोड़कर देखा जा
रहा है। सोमनाथ मंदिर को विदेशी आक्रांताओं द्वारा बार-बार तोड़े जाने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि
आज दुनिया में कोई भी व्यक्ति इस भव्य संरचना को देखता है तो उसे केवल एक मंदिर ही नहीं दिखाई देता
बल्कि उसे एक ऐसा अस्तित्व दिखाई देता है जो सैकड़ों हजारों सालों से प्रेरणा देता आ रहा है और जो मानवता के
मूल्यों की घोषणा करता है। मोदी ने कहा, ''यह स्थान आज भी पूरे विश्व के सामने यह आह्वान कर रहा है कि
सत्य को असत्य से हराया नहीं जा सकता। आस्था को आतंक से कुचला नहीं जा सकता। इस मंदिर को सैकड़ों
सालों के इतिहास में कितनी ही बार तोड़ा गया, यहां की मूर्तियों को खंडित किया गया, इसका अस्तित्व मिटाने की
हर कोशिश की गई लेकिन इसे जितनी भी बार गिराया गया, वह उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ।''प्रधानमंत्री ने किसी
देश का नाम लिए बगैर कहा, ''भगवान सोमनाथ का मंदिर आज भारत ही नहीं, पूरे विश्व के लिए एक विश्वास है।
जो तोड़ने वाली शक्तियां है… जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है… वह किसी कालखंड में कुछ
समय के लिए भले ही हावी हो जाए लेकिन उसका अस्तित्व कभी स्थाई (रिपीट) स्थायी नहीं होता। वह ज्यादा
दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकतीं।'' उन्होंने कहा कि यह बात तब भी इतनी ही सही थी जब कुछ
आतताई सोमनाथ मंदिर को गिरा रहे थे और आज भी इतनी ही सही है जब विश्व ऐसी विचारधाराओं से आशंकित
है। मोदी ने कहा, ''हम सभी जानते हैं सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण से लेकर भव्य विकास की यात्रा केवल कुछ
सालों या दशकों का परिणाम नहीं है। यह सदियों की इच्छा शक्ति और वैचारिक निरंतरता का परिणाम है।'' इससे
पहले प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया उनमें सोमनाथ ''समुद्र
दर्शन'' पैदल पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुनर्निर्मित अहिल्याबाई होलकर मंदिर शामिल हैं। इसके अलावा
उन्होंने श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी।प्राचीन (जूना) सोमनाथ मंदिर को अहिल्याबाई होलकर मंदिर के
नाम से जाना जाता है और यह मुख्य मंदिर के विपरीत दिशा में स्थित है। इसके नवीनीकरण पर 3.5 करोड़ रुपये
की लागत आई है।लगभग एक किलोमीटर लंबे ''समुद्र दर्शन'' पैदल पथ का निर्माण ''प्रसाद योजना'' (तीर्थयात्रा
कायाकल्प और आध्यात्मिक, धरोहर संवर्धन अभियान) के तहत करीब 47 करोड़ रुपये से किया गया है। सोमनाथ
प्रदर्शनी केंद्र सोमनाथ मंदिर में स्थित पर्यटक सुविधा केंद्र के परिसर में बना है। इस प्रदर्शनी केंद्र में पुराने
सोमनाथ मंदिर के खंडित हिस्सों और पुराने सोमनाथ की नागर शैली की मंदिर वास्तुकला वाली मूर्तियों को दर्शाया
गया है।अहिल्याबाई होलकर मंदिर को 3.5 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया है। इसका निर्माण इंदौर की
अहिल्या बाई होलकर ने कराया था। प्रधानमंत्री मोदी गिर-सोमनाथ जिले के प्रभास पाटन शहर में स्थित सोमनाथ
मंदिर न्यास के अध्यक्ष हैं।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वयोवृद्ध नेता
लालकृष्ण आडवाणी भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए। शाह और आडवाणी न्यास के
न्यासी हैं।गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और पर्यटन राज्य मंत्री श्रीपाद येसो नाईक सहित अन्य गणमान्य
व्यक्ति इस कार्यक्रम में शामिल हुए।