कानपुर (उप्र)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं से आत्मनिर्भर और
आधुनिक भारत के निर्माण में योगदान देने की अपील करते हुए मंगलवार को कहा कि आगामी 25 साल में भारत
की विकास यात्रा की बागडोर उन्हें ही संभालनी है।
मोदी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर के 54वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल
हुए और उन्होंने छात्रों को उपाधि प्रदान करने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक आधारित डिजिटल डिग्री देने की शुरुआत
की। अब छात्रों को संस्थान में विकसित ब्लॉकचेन तकनीक के माध्यम से डिजिटल डिग्री जारी की जाएगी। यह
डिजिटल डिग्री वैश्विक स्तर पर सत्यापित की जा सकती है।
प्रधानमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इस साल भारत ने अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश
किया है और इस अवसर पर देश अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में, इस वर्ष आईआईटी से
डिग्री लेने वाले छात्रों को इस सपने को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए कि 2047 का भारत कैसा होगा।
उन्होंने कहा, ''आने वाले 25 साल में भारत की विकास यात्रा की बागडोर आपको ही संभालनी है। आप सभी पर
देश को अगले 25 वर्ष तक दिशा और गति देने का दायित्व है। आप कल्पना कीजिए, जब 1930 में दांडी यात्रा
शुरू हुई तो उस यात्रा ने पूरे देश को कितना आंदोलित कर दिया था। 1930 के उस दौर में 20-25 साल के जो
नौजवान थे, वह उनके जीवन का स्वर्णिम काल था।''
प्रधानमंत्री ने कहा, ''जब आप अपने जीवन के 50 साल पूरे कर रहे होंगे, उस समय का भारत कैसा होगा। उसके
लिए आपको अभी से ही काम करना होगा। मुझे पता है कि कानपुर आईआईटी ने, यहां के माहौल ने आपको वह
ताकत दी है कि अब आपको अपने सपने पूरे करने से कोई रोक नहीं सकता।''
मोदी ने कहा कि 21वीं सदी प्रौद्योगिकी का युग है और यह तकनीक की स्पर्धा का युग है जिसमें ये छात्र जरूर
आगे निकलेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ''आजादी के बाद 25 साल तक हमें देश को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए प्रयास करने
चाहिए थे, लेकिन तब से लेकर अब तक बहुत देर कर दी गई है। देश बहुत समय गंवा चुका है, इसलिए हमें दो
पल भी नहीं गंवाने हैं।''
उन्होंने कहा, ''मेरी बातों में आपको अधीरता नजर आ रही है, लेकिन मैं चाहता हूं और मेरा मन करता है कि आप
भी इसी तरह आत्मनिर्भर भारत के लिए अधीर हो जाइए। आत्मनिर्भर भारत पूर्ण आजादी का मूल स्वरूप है, जहां
हम किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे। यदि हम आत्मनिर्भर नहीं होंगे, तो हमारा देश अपने लक्ष्य कैसे पूरा करेगा।''
मोदी ने कहा, ''पहले अगर सोच काम चलाने की होती थी, तो आज कुछ कर गुजरने, काम करके नतीजे लाने की
सोच है। पहले अगर समस्याओं से पीछा छुड़ाने की कोशिश होती थी, तो आज समस्याओं के समाधान के लिए
स्थायी संकल्प लिए जाते हैं। आत्मनिर्भर भारत इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।''
उन्होंने छात्रों के जीवन में माता-पिता, परिवार और अध्यापकों के योगदान की चर्चा करते हुए कहा, ''आपने
आईआईटी में प्रवेश लिया और अब आप यहां से निकल रहे हैं, तो तब और अब में आप अपने में बहुत बड़ा
परिवर्तन महसूस कर रहे होंगे। पहले आपका ज्ञान और आपकी जिज्ञासा का दायरा आपके स्कूल, कॉलेज, आपके
मित्रों, आपके परिवार और आपके अपनों के बीच सिमटा हुआ था। आईआईटी कानपुर ने उस दायरे से निकालकर
आपको बहुत बड़ा कैनवास दिया है।''