संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि पहले ही सूखे और गरीबी की
मार झेल रहे अफगानिस्तान में भीषण भूकंप के कारण देश के सामने एक और आपात स्थिति उत्पन्न हो गई है।
उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा लोग अफगानिस्तान में ही अकाल के खतरे का सामना
कर रहे हैं और देश के नए तालिबान शासकों द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन बढ़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स और अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र के उप
विशेष प्रतिनिधि रमिज़ अलकबरोव ने अफगानिस्तान की 3.8 करोड़ की आबादी के समक्ष खड़ी गंभीर कठिनाइयों
और खतरों का जिक्र किया। अफगानिस्तान में बुधवार को आए भीषण भूकंप के बाद सुरक्षा परिषद की एक बैठक
में अधिकारियों ने ये बयान दिए।
अफगानिस्तान की सरकारी मीडिया के अनुसार, इस भूकंप में करीब एक हजार लोग मारे गए हैं। हालांकि, संयुक्त
राष्ट्र ने पक्तिका और खोस्त प्रांतों में भूकंप के कारण करीब 770 लोगों के मारे जाने का अनुमान लगाया है।
सैकड़ों अन्य लोग घायल भी हुए हैं, जिस कारण अधिकारियों ने आगाह किया है कि हताहतों की संख्या बढ़ सकती
है। बृहस्पतिवार को भी शवों को मलबे से निकालने का काम जारी था।
मार्टिन ग्रिफिथ्स ने इस ऑनलाइन बैठक में कहा कि तालिबान के पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान को अपने
नियंत्रण में लेने के बाद से अफगानिस्तान के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में बदलाव आया है और ‘‘देश के
लोग अविश्वसनीय मानवीय पीड़ा’’ का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘30 साल में सबसे खराब सूखे से जूझने के
कारण प्रांतों के तीन-चौथाई हिस्से प्रभावित हुए हैं, जिससे फसल का उत्पादन औसत से कम होने की उम्मीद है।’’
ग्रिफिथ्स ने कहा कि देश की 2.5 करोड़ आबादी गरीब में गुजर-बसर कर रही है, यह आंकड़ा 2011 की तुलना में
दोगुना है। इनमें से 66 लाख लोग ‘‘आपात’’ स्थिति में है। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे अधिक लोग
अफगानिस्तान में ही अकाल से प्रभावित हैं। अलकबरोव ने कहा कि भूकंप ने लोगों के सामने एक और मुसीबत
खड़ी कर दी है। उन्होंने कहा कि तालिबान के खिलाफ सशस्त्र विपक्षी समूहों के उदय के कारण वहां सुरक्षा को
लेकर अनिश्चितताएं उत्पन्न हो रही हैं।