-सिध्दार्थ शंकर-
अल्पसंख्यकों को लेकर पाकिस्तान सरकार की एक बार फिर पोल खुल गई है। लगातार हिंदुओं के साथ अपमान
किया जा रहा है। गैर हिंदू भी कम प्रताडऩा के शिकार नहीं हैं। 14 साल से कम उम्र की लड़कियों का जबरन
धर्मांतरण करके उन्हें शादी के लिए मजबूर किया जा रहा है। हाल ही में कई घटनाएं सामने आई हैं, जब लड़कियों
के परिवार ने यह दावा किया है कि उनका शादी के लिए अपहरण किया गया और जबरन धर्मांतरण कराया गया।
पाक में हर साल 1000 से अधिक हिंदू लड़कियों को अगवा कर जबरन धर्मांतरण करा शादी की जाती है।
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष की मानें तो सिर्फ सिंध राज्य में हर महीने 20 से 25 हिंदू
लड़कियों का जबरन धर्मांतरण कराकर शादी कराई जाती है। गौर करें तो पाकिस्तान में हिंदू और सिख लड़कियों का
जबरन धर्मांतरण कोई नई बात नहीं है। भारत विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान में हिंदुओं को खत्म करने की
साजिश चल रही है। विभाजन के समय पाकिस्तान में 15 फीसद हिंदू थे जो आज उनकी आबादी घटकर 1।6
फीसद रह गई है। गौर करें तो पाक की हुकूमत और कट्टरपंथी ताकतें अल्पसंख्यक हिंदुओं व सिखों को खत्म
करने के लिए दो रास्ते अपना रही हैं। एक उनकी हत्या और दूसरा जबरन धर्मांतरण। यह खेल पूरा पाकिस्तान में
चल रहा है। पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांत और बलूचिस्तान में स्थिति कुछ ज्यादा ही भयावह है। यहां
अल्पसंख्यक हिंदू-सिख समुदाय से जबरन जजिया वसूला जा रहा है। जजिया न चुकाने वाले हिंदू-सिखों की हत्या
कर उनकी संपत्ति लूट ली जाती है। मंदिरों और गुरुद्वारों को जला दिया जाता है। 1947 में पाक में 428 हिंदू
मंदिर थे। आज सिर्फ 66 मंदिर शेष बचे हैं। यानी अन्य मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया है। पाकिस्तान के
मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में हिंदू और सिख समुदाय के लोगों की
स्थिति भयावह है। वे गरीबी एवं भुखमरी के दंश से जूझ रहे हैं। आर्थिक रूप से विपन्न और बदहाल हैं। वे आतंक,
आशंका और डर के साये में जी रहे हैं। एचआरसीपी की रिपोर्ट से भी उद्घाटित हो चुका है कि हिंदू लड़कियों का
जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। धर्म परिवर्तन का ढंग भी बेहद खौफनाक औैर अमानवीय है। हिंदू लड़कियों
का पहले अपहरण कर उनके साथ रेप किया जाता है और फिर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य किया जाता है।
त्रासदी यह कि जब मामला पुलिस के पास पहुंचता है तो पुलिस भी बलात्कारियों पर कार्रवाई करने के बजाए हिंदू
अभिभावकों को ही प्रताड़ित करती है। उन्हें मानसिक संताप देने के लिए बलात्कार पीड़ित नाबालिग लड़की को
उनके संरक्षण में देने के बजाए अपने संरक्षण में रखती है। पुलिस संरक्षण में एक अल्पसंख्यक लड़की के साथ क्या
होता होगा सहज अनुमान लगाया जा सकता है। अल्पसंख्यकों के मसले को लेकर जो पाकिस्तान आज भारत को
नसीहत दे रहा है, उसे खुद अपने यहां के अल्पसंख्यकों पर ध्यान देने की जरूरत है। पाकिस्तान में लगातार मंदिरों
को निशाना बनाया जा रहा है। हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ी जाती हैं। ज्यादातर मंदिरों को अब दुकान और
दफ्तरों में बदल दिया गया है। बहरहाल, आंकड़े दर्शाते हैं कि विभाजन के समय अल्पसंख्यकों की जो संख्या वहां
थी वह बढ़ने की बजाय तेजी से घटी है। पाकिस्तान जोकि एकाध घटना पर भारत को उपदेश देने को उतावला
रहता है, उसे जरा अपने गिरेबां में झांक कर देखना चाहिए कि उसने अपने देश के अल्पसंख्यकों के साथ अब तक
कैसा बर्ताव किया है।