अन्ना हजारे ने शुरू किया आंदोलन, कहा- अंग्रेज गए लेकिन लोकतंत्र नहीं आया

asiakhabar.com | March 23, 2018 | 4:11 pm IST

मुंबई। लोकपाल और लोकयुक्त की मांग के साथ ही किसानों के समर्थन में समाजसेवी अन्ना हजारे ने दिल्ली के रामलीला मैदान पर अपना आंदोलन शुरू कर दिया है। अपने अनशन की शुरुआत के पहले अन्ना हजारे राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के लिए राजघाट पहुंचे।

इसके बाद अन्‍ना सीधे रामलीला मैदान पहुंचे और अपने हजारों समर्थकों की मौजदूगी में मंच पर सबसे पहले तिरंगा लहराया। जानकारी मिली है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एवं कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त एन संतोष हेगड़े आंदोलन में शामिल होने रामलीला मैदान पहुंचे हैं।

अन्‍ना से हड़ताल से पहले कहा कि मैंने सरकार को 42 बार पत्र लिखा, लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया और अंत में मुझे अनशन पर बैठना पड़ रहा है।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि अंग्रेज चले गए, लेकिन लोकतंत्र नहीं आया। साथ ही कहा कि सिर्फ गोरे गए और काले आ गए। अपनी मांगों के संदर्भ में अन्ना हजारे ने कहा कि सिर्फ जुबानी आश्वासन पर अनशन नहीं रुकेगा, बल्कि पुख्ता निर्णय लेना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चर्चा करने के लिए अनुमति देंगे। केंद्र को घेरते हुए कहा कि आंदोलनकारियों को यहां आने से सरकार रोक रही है। क्या यही लोकतंत्र है।

अन्ना हजारे ने लंबी लड़ाई का संकेत देते हुए कहा कि जब तक शरीर में प्राण है बात करेंगे। उन्होंने कहा कि 80 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक से मृत्यु होने की बजाए समाज की भलाई के लिए मृत्यु हो।

इससे पहले उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि सरकार प्रदर्शनकारियों को हिंसा की तरफ धकेलना चाहती है।

अन्ना ने आरोप लगाया कि ‘दिल्ली आ रहे प्रदर्शनकारियों की ट्रेन रोक दी गई, आप उन्हें हिंसा की तरफ धकेलना चाहते हैं। मेरे लिए भी पुलिस फोर्स तैनात की गई है। मैंने कई पत्रों में लिखा है कि मुझे पुलिस सुरक्षा की जरूरत नहीं है। आपकी सुरक्षा मुझे नहीं बचा सकेगी। सरकार का यह रवैया ठीक नहीं है।’

आंदोलन शुरू करने जा रहे अन्ना के साथ इस बार भी 2011 जैसी ही कार्यकर्ताओं की एक टीम होगी। लेकिन इस बार की टीम का हर सदस्य एक शपथपत्र अन्ना को दे चुका है कि वह भविष्य में किसी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेगा। अन्ना ने यह शपथपत्र अपने कार्यकर्ताओं से इसलिए लिया है ताकि भविष्य में उनके आंदोलन के सहारे नया केजरीवाल, सिसोदिया या किरण बेदी पैदा न हो।

अन्ना के अनुसार, यह अच्छी बात है कि इस बार के आंदोलन में 2011 के आंदोलन का कोई सदस्य नहीं है। हमने नए सदस्यों की एक टीम बनाई है, जिसमें सभी सदस्यों ने यह उक्त शपथपत्र दिया है। इसके बाद ही हमने उन्हें अपने साथ काम करने की अनुमति दी है।

शहीद ए आजम भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव के बलिदान दिवस 23 मार्च से शुरू हो रहे अपने आंदोलन के इस चरण के लिए अण्णा ने देशभर में घूम-घूम कर 600 कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की है। इनमें 20 सदस्यों की एक कोर टीम भी बनाई गई है। यह टीम रामलीला मैदान में उसी तरह आंदोलन का संचालन करेगी, जैसे 2011 के आंदोलन में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास और किरण बेदी किया करते थे।

सिटिजन चार्टर भी लागू करने की मांग

अन्ना का यह आंदोलन केंद्र में लोकपाल एवं सभी राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की मांग के साथ-साथ सिटिजन चार्टर लागू करने एवं किसानों की समस्याओं को केंद्र में रखकर हो रहा है। अन्ना का कहना है कि केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद वह उन्हें कई बार ये मांगें पूरी करने के लिए पत्र लिख चुके हैं। लेकिन उनके पत्रों के जवाब तक नहीं दिए गए। यहां तक कि दिल्ली में आंदोलन की जगह मांगने के लिए भी पिछले चार महीने में 16 पत्र लिख चुके हैं। अब जाकर सरकार ने उन्हें रामलीला मैदान में आंदोलन की अनुमति दी है।

2011 का अन्ना आंदोलन

भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना हजारे ने 16 अगस्त, 2011 से 28 अगस्त, 2011 तक रामलीला मैदान में ही अनशन किया था। तत्कालीन संप्रग सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के कई मामलों के कारण जनता भी बड़ी संख्या में रामलीला मैदान पहुंच रही थी। कहते हैं कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी आंदोलन को परोक्ष समर्थन दे रहे थे। इससे केंद्र को अन्ना की मांगों के सामने झुकना भी पड़ा।

संसद में अन्ना के जनलोकपाल बिल सहित कुछ और मांगों पर देर रात तक चर्चा हुई और प्रस्ताव पारित हुआ। अन्ना ने उस समय भी कहा था कि जब तक केंद्र में लोकपाल एवं राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त करने का कानून नहीं बन जाता, वह पूरे देश में भ्रमण करेंगे और जरूरत पड़ने पर पुनः आंदोलन भी करेंगे।


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