विकास गुप्ता
बीजिंग। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग 11 और 12 अक्टूबर को भारत की यात्रा
करेंगे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता करेंगे। इस दौरान दोनों नेता
द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े कई मुद्दों पर विस्तृत चर्चा करेंगे। दोनों नेता क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर
भी विचार विमर्श करेंगे। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बुधवार को घोषणा की कि शी और
मोदी के बीच दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता चेन्नई के समीप प्राचीन तटीय शहर मामल्लापुरम में 11
और 12 अक्टूबर को होगी। इसके बाद शी 13 अक्टूबर को नेपाल की राजकीय यात्रा पर जाएंगे। नयी
दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा कि आगामी अनौपचारिक शिखर सम्मेलन एक ऐसा अवसर होगा जब
दोनों नेता द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के अत्यंक आवश्यक मुद्दों पर अपनी चर्चा को आगे
बढ़ाएंगे। मोदी और शी के बीच पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता चीन के वुहान में अप्रैल 2018 में हुई
थी। उसके कुछ महीने पहले ही डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 73 दिनों तक गतिरोध रहा
था। शी के भारत दौरे की घोषणा ऐसे वक्त की गई है जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और
सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा चीन के दौरे पर हैं। खान मंगलवार को यहां पहुंचे। उन्होंने
प्रधानमंत्री ली केकियांग से मुलाकात की। बुधवार को राष्ट्रपति शी से उनके मुलाकात करने की उम्मीद
है। भारत द्वारा पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जा खत्म कर देने के बाद से नयी
दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच तनाव बढ़ गया है। इन्हीं हालात के बीच खान चीन के दौरे पर आए हैं।
शी की भारत यात्रा से पहले चीन ने एक महत्वपूर्ण बयान में कहा है कि कश्मीर के मुद्दे का समाधान
भारत और पाकिस्तान को आपसी बातचीत से निकालना होगा। उसका यह रुख संयुक्त राष्ट्र तथा संरा
सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों में उसके हाल के संदर्भों से अलग है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग की
टिप्पणी कश्मीर को लेकर चीन के हाल के रुख में आए उल्लेखनीय बदलाव को दिखाती है। कश्मीर के
दर्जे को लेकर भारत के फैसले के बारे में चीन ने छह अगस्त को अपनी पहली प्रतिक्रिया दी थी जिसमें
चीन के विदेश मंत्रालय ने दो अलग बयान जारी किए थे। एक बयान में चीन ने लद्दाख को पृथक केंद्र
शासित प्रदेश बनाने के भारत के कदम का विरोध किया था और कहा था कि इस इलाके में बीजिंग
अपना क्षेत्राधिकार जताता है। दूसरे बयान में कहा था, ‘‘हम भारत और पाकिस्तान दोनों से कहते हैं कि
वह बातचीत और सलाह मश्विरे के जरिए अपने विवाद शांतिपूर्ण ढंग से हल करें और क्षेत्र में शांति और
स्थिरता को कायम रखें।’’ इस मायने में भारत-चीन संबंधों के जानकार शी के भारत दौरे से पहले कश्मीर
को लेकर चीन के रुख में आए बदलाव को उल्लेखनीय मान रहे हैं।
सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण को लेकर की बैठक, यूरोपीय देशों ने की निंदा
संयुक्त राष्ट्र, 09 अक्टूबर (वेबवार्ता)। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया द्वारा समुद्र के भीतर
किए गए बैलिस्टिक मिसाइल के नवीनतम परीक्षण को लेकर मंगलवार को चर्चा की और जिसमें यूरोपीय
देशों ने उत्तर कोरिया से सभी विनाशकारी हथियारों को छोड़ने और अमेरिका के साथ ‘‘सार्थक वार्ता’’ में
शामिल होने का आग्रह किया। बंद कमरे में हुई बैठक के बाद यूरोपीय देशों के एक संयुक्त बयान में
कहा गया कि हम 3 अक्टूबर को हुये ताजा परीक्षण और पिछले हफ्तों हुए कम दूरी की कई बैलिस्टिक
मिसाइलों के प्रक्षेपण की निंदा करते हैं। बयान में कहा गया कि ये प्रक्षेपण ‘‘उकसावे की कार्रवाई’’ है और
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन है, जिसने बैलिस्टिक मिसाइल के प्रक्षेपण पर
प्रतिबंध लगाया हुआ है। यूरोपीय देशों ने उत्तर कोरिया से अमेरिका के साथ विश्वासपूर्ण ढंग से सार्थक
बातचीत में शामिल होने और जनसंहार करने वाले सभी तरह के विनाशकारी हथियारों और बैलिस्टिक
मिसाइलों को पूर्ण रूप से व प्रमाणिक ढंग से छोड़ने के दृष्टिकोण के साथ ठोस कदम उठाने का आग्रह
किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोरियाई प्रायद्वीप और क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता लाने का कोई अन्य तरीका
नहीं है।’’ फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई थी। परिषद के अन्य सदस्य
बेल्जियम और पोलैंड ने बयान का समर्थन किया। एस्टोनिया ने भी इसका समर्थन किया है, जो जनवरी
में परिषद में शामिल होगा। संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के राजदूत क्रिस्टोफ हेस्गेन से जब बैठक में परिषद
के 10 अन्य सदस्यों की प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में बैठक में सभी
सदस्य एकमत थे और उत्तर कोरिया द्वारा किए गए कामों पर बहुत गंभीर थे।’’ उन्होंने बताया, ‘‘लेकिन
सभी ने यह भी उम्मीद जताई कि जो वार्ता स्टॉकहोम में शुरू हुई थी, वह फिर से शुरू होगी।’’