अक्षय कुमार के साथ पीएम मोदी ने शेयर किए दिल के राज, विपक्षी दलों में मेरे कई दोस्त'

asiakhabar.com | April 24, 2019 | 5:31 pm IST
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बॉलिवुड ऐक्टर अक्षय कुमार को दिए एक
'पर्सनल' इंटरव्यू में अपनी दिनचर्या और जीवन से जुड़े कई दिलचस्प सवालों के जवाब दिए। मोदी ने
अपने बचपन की यादों से लेकर गुस्से पर नियंत्रण, मां हीराबेन के दिल्ली में उनके साथ न रहने,
पारिवारिक रिश्तों और जिंदगी के फलसफे पर दिल खोलकर बातें कीं। इसके साथ ही उन्होंने अपनी धुर-

विरोधी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा उन्हें हर साल कुर्ते गिफ्ट करने का दिलचस्प
राज भी खोला। मोदी ने अपनी सियासी सफर पर पूछे गए सवालों पर कहा कि राजनीति में आने और
प्रधानमंत्री बनने का सपना उन्होंने कभी नहीं देखा था। उन्होंने कहा, 'मैं ऐसे परिवार से आता हूं कि मुझे
छोटी-मोटी कोई नौकरी मिल जाती तो भी मेरी मां सबको गुड़ खिला देती। मैं कभी-कभी आश्चयर्य करता
हूं कि देश ने मुझे इतना प्यार कैसे दिया।'
पीएम ने अपने पढ़ने के शौक और सेना में जाने के सवाल पर कहा, 'बचपन में मुझे किताबें पढ़ने का
शौक था गांव की लाइब्रेरी में जाकर पढ़ता था। मैं सेना के जवानों को देखता था कि चीन युद्ध में
सैनिकों का बड़ा सत्कार करते हैं। मैंने पढ़ा गुजरात में सैनिक स्कूल में दाखिल हो सकते हैं। हमें तो
अंग्रेजी आती नहीं थी तो हमारे मोहल्ले में स्कूल के प्रिंसिपल के पास चला गया। फिर रामकृष्ण मिशन
में चला गया और ये सारे नए-नए अनुभव होने लगा, हिमालय में भटका बहुत घूमा देखा कुछ कन्फ्यूजन
भी था। मन में सवाल कुछ करता फिर जवाब देता और ऐसे भटकते-भटकते यहां चला आया।'
गुस्सा आने के सवाल पर मोदी ने कहा कि मेरी 18-22 साल की जो ट्रेनिंग हुई उसमें यह ट्रेनिंग मिली।
उन्होंने कहा, 'मैं कह सकता हूं कि चपरासी से लेकर प्रिंसिपल सेक्रेटरी तक गुस्सा व्यक्त करने का
अवसर नहीं मिला। मैं स्ट्रिक्ट हूं अनुशासित हूं। मैं किसी को नीचा दिखाकर काम नहीं करता हूं। हेल्पिंग
हैंड की तरह काम करता हूं। प्रेशर है, स्ट्रेस है मैं उसे डिवाइड कर देता हूं। अंदर तो शायद होता होगा,
लेकिन उसको व्यक्त करने का अवसर नहीं मिला। एक होता है चेहरे पर बॉडी पर गुस्सा उसको व्यक्त
करना। कभी होता है कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ कभी होता है कि मैंने ऐसा क्यों किया। मैं अकेला
कागज लेकर बैठता हूं और ऐसी परिस्थिति का घटना का पूरी कागज पर लिखकर व्यक्त करता था और
फिर उसे फाड़कर फेंक देता था। फिर भी मन शांत नहीं होता था तो उसे दोबारा लिखता था, इससे
अंदाजा होता था कि मैं भी गलत था।'
मां के साथ रहने के सवाल पर पीएम ने कहा कि अगर मैं पीएम बनकर घर से निकलता तो स्वाभाविक
है कि मन करता। मैंने छोटी आयु में सब कुछ छोड़ दिया। डिटैचमेंट था माया-मोह सब छोड़ दिया। फिर
भी कभी मां को बुला लिया, लेकिन मेरी मा कहती है कि तू मेरे पीछे क्यों टाइम खराब करते हो मैं गांव
के लोगों के साथ बात कर लेती हूं। जितने दिन मां रही मैं शिड्यूल में बिजी रहता था।
स्ट्रिक्ट होने के सवाल पर मोदी ने कहा कि मेरे बारे में जो छवि बनाई गई है वह ठीक नहीं है। उन्होंने
कहा, 'कोई यह कहे कि काम बहुत करना पड़ता है तो सच्चाई है, लेकिन मैं किसी पर दबाव नहीं
डालता। मैं एक वर्क कल्चर डिवेलप करता हूं और वह मैं खुद काम करता हूं इसलिए वह डिवेलप हो गया
है। स्ट्रिक्टनेस अनुशासन किसी पर थोपने से नहीं आता है। मेरे साथ मीटिंग में लोग खुद मोबाइल लेकर
नहीं आता हैं।' पीएम ने हास्य के सवाल पर कहा कि अब डर लगता है कि लोग आधे-अधूरे शब्दों को
उछालकर पेश करते हैं। इरादा वो नहीं होता है हंसी-मजाक का होता है, लेकिन अब आधे-अधूरे शब्दों के
आधार पर प्रतिक्रिया दी जाती है।

विपक्षी पार्टी के साथ सबंधों पर पीएम ने कहा कि ममता बनर्जी उन्हें तोहफा देती हैं। पीएम ने कहा,
'मेरे कई दोस्त हैं विपक्षी पार्टी में और बहुत अच्छे दोस्त हैं, उनके साथ खाना भी खाते हैं। तब मैं
गुजरात का सीएम नहीं था किसी काम से मैं संसद गया था और गुलाम नबी आजाद और मैं गप्पें मार
रहे थे। एक मीडियाकर्मी ने कहा किआरएसएस वाले हो और गुलाम नबी के साथ हो। गुलाम नबी जी ने
कहा कि सभी दल के लोग फैमिली के तौर पर जुड़े हैं। ममता दीदी आज भी मुझे साल में एक-दो कुर्ते
खुद सिलेक्ट कर भेजती हैं। कोई न कोई बंगाली नई मिठाई ढाका से मुझे वहां की पीएम शेख हसीना जी
भेजती हैं, जब ममता दीदी को पता चला तब से वह भी मेरे लिए कोई मिठाई भेजती हैं।'
बैंक बैलेंस के सवाल पर पीएम ने कहा कि बैंक अकाउंट एमएलए बनने के बाद बना क्योंकि उसमें
तनख्वाह आनी शुरू हो गई। स्कूल में देना बैंक वाले आए और सब बच्चों को गुल्लक दिया और कहा कि
इसमें जो जमा होगा तो बैंक अकाउंट में डालना होता है। बैंक में हमारा अकाउंट बना रहा और जमा कुछ
नहीं हुआ। मैं गांव छोड़कर चला गया और 30-32 साल तक वह अकाउंट वैसे ही पड़ा रहा। फिर मैं
राजनीति में आने कारण थोड़ा चर्चित हो गया तो बैंकवाले मेरे पास आए और बोले कि सिग्नेचर कर दो
आपके इस बचपन के अकाउंट को बंद कर देंगे।
पीएम ने कहा, 'मैंने कभी अपना बैंक अकाउंट देखा नहीं था तो गुजरात से आने से पहले अफसरों को
बुलाया और बोला कि मैं ये पैसे दे देना चाहता हूं। मैं इसे ले जाकर करूंगा क्या तो एक सीनियर अफसर
आए, उनके साथ 3 और अफसर लोग भी थे। उन्होंने कहा कि आपको जरूरत न पड़े, लेकिन कोर्ट केस
चल रहे हैं वकील की जरूरत होगी तो इस अकाउंट को रख लो। उसमें से मैंने 21 लाख रुपये दे दिए जो
ऑफिस की ड्राइवर चपरासी हैं उनकी बच्चियों की शिक्षा-दीक्षा के लिए खर्च होता है। गुजरात सरकार ने
फाउंडेशन बनाया है इसके लिए और उससे खर्च कर रहे हैं। एमएलए के तौर पर मुझे प्लॉट मिला था
पता चला मामला सुप्रीम कोर्ट में लटका है तो जब क्लियर हो जाएगा तो मैंने कहा है कि इसे पार्टी को
दे देना।'
पीएम मोदी के सिर्फ 3-4 घंटे सोने के सवाल पर उन्होंने कहा, 'मेरे डॉक्टरों की टीम भी कहती है कि
मुझे नींद पर्याप्त लेना चाहिए। ओबामा जी मेरे अच्छे मित्र हैं उनका भी कहना है कि मुझे अपनी नींद
पूरी लेनी चाहिए। मैंने कठिन परिश्रम किया है जीवन में और यह अभ्यास से हासिल हुआ है कि उठते
ही मेरे पैर सीधे जमीन पर रहते हैं। अब मैं भी सोचता हूं कि शायद रिटायर होने के बाद मैं पहला काम
यही करूंगा कि अपनी नींद कैसे बढ़ाऊं, इसके लिए कुछ परिश्रम करूंगा।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अलादीन के चिराग की कहानी मुझे लगता है कि यह भारतीय दर्शन
नहीं है। उन्होंने कहा, 'बिना परिश्रम के कुछ नहीं मिलता है औरगर मुझे अलादीन का चिराग मिल जाये
तो मैं उसे कहूंगा की ये जितने भी समाजशास्त्री और शिक्षाविद हैं उनके दिमाग में भर दो कि वो आने
वाली पीढ़ियों को ये अलादीन के चिराग वाली थिअरी पढ़ानी बंद कर दें। उन्हें मेहनत करने की शिक्षा दें।'

सोशल मीडिया से जुड़े सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी ने अक्षय कुमार की पत्नी ट्विंकल खन्ना का जिक्र
किया। पीएम ने कहा कि मैं तो ट्विंकल जी को भी ट्विटर पर देखता हूं और मुझ पर वह इतना गुस्सा
निकालती हैं… कभी-कभी लगता है कि शायद आपके घर में काफी अच्छा माहौल रहता होगा क्योंकि
ट्विंकल जी तो सारा गुस्सा ट्विटर मुझ पर ही निकालती हैं।
पीएम मोदी अपनी भाषण शैली के कारण खासे लोकप्रिय हैं। यूएन में बतौर पीएम पहले स्पीच के बारे में
उन्होंने कहा कि मेरे लिए मुश्किल होती है कि मुझे पर्चा देखकर पढ़ना हो। बिना पढ़े पढ़ना मेरे लिए
अधिक आसान रहता है। यूएन स्पीच में मैं तो बिना पर्चा देखे ही पढ़ना चाहता था। उन्होंने फिल्मों से
जुड़े सवाल पर कहा कि पीएम बनने के बाद फिल्में देखने का वक्त नहीं मिला, लेकिन सीएम रहते हुए
मैंने अमिताभ बच्चन की एक फिल्म पा देखी थी।


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