लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) में हाशिये पर चल रहे वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने आखिरकार अपनी राह अलग करने के संकेत देते हुए ‘समाजवादी सेक्युलर मोर्चा‘ के गठन का आज औपचारिक ऐलान कर दिया। हालांकि शिवपाल ने इस मोर्चे के वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव मैदान में उतरने की सम्भावनाओं को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले। शिवपाल ने यहां संवाददाताओं से कहा ‘‘मैंने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का गठन किया है। मैंने दो साल तक इंतजार किया। मैं समाजवादी पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहा हूं। मुझे ना तो पार्टी के कार्यक्रमों की कोई सूचना दी जाती है और ना ही कोई जिम्मेदारी मिलती है।‘‘
उन्होंने कहा ‘‘मैं सपा में सबसे मिलकर रहना चाहता था, इसीलिये मैंने इतना इंतजार किया। अब हम गांव-गांव, जिले-जिले जाकर मोर्चे को मजबूत करने के लिये काम करेंगे।‘‘शिवपाल ने कहा ‘‘सपा में अनेक ऐसे कार्यकर्ता हैं, जो उपेक्षित हैं। उन्हें जिम्मेदारी दी जाएगी और उनसे कहा जाएगा कि वे मोर्चा को मजबूती दें। मैं पिछड़े वर्ग के लोगों तथा छोटी पार्टिंयों को भी मोर्चे से जोड़ने की कोशिश करूंगा।‘‘
इस सवाल पर कि क्या उनका मोर्चा आगामी लोकसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारेगा, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। यह पूछे जाने पर कि क्या सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव भी मोर्चा का हिस्सा होंगे, पूर्व मंत्री ने कोई सीधा जवाब ना देते हुए कहा, ‘‘हम उन्हें उचित सम्मान देंगे और दूसरों से भी ऐसा करने के लिये कहेंगे।‘‘ शिवपाल ने मोर्चे के गठन का ऐलान सपा से निष्कासित राज्यसभा सदस्य अमर सिंह उस बयान के एक दिन बाद किया है, जिसमें उन्होंने शिवपाल और भाजपा के शीर्ष नेताओं के बीच बैठक तय कराने के बावजूद ऐन वक्त पर शिवपाल के नहीं पहुंचने का दावा किया था।
भाजपा के साथ अपने सम्बन्धों के बारे में शिवपाल ने कहा कि उनके भाजपा या किसी अन्य दल में शामिल होने की अटकलें लगायी जा रही हैं, मगर इनमें कोई सचाई नहीं है। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने मंगलवार को शिवपाल से उनके आवास पर मुलाकात की थी, लेकिन दोनों नेताओं ने इसे व्यक्तिगत बताया था।
गौरतलब है कि सितम्बर 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को उस वक्त सपा मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल को नियुक्त कर दिया था। उसके बाद से ही अखिलेश और शिवपाल के बीच तल्खी पैदा हो गयी थी। अखिलेश ने अपने मंत्रिमण्डल से शिवपाल समर्थक कई मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था। उसके बाद एक जनवरी 2017 को सपा के अध्यक्ष पद पर अखिलेश की ताजपोशी के दिन ही शिवपाल को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। उसके बाद से शिवपाल पार्टी में हाशिये पर आ गये।