निकल पड़े कांवड़िये, किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए पुलिस अलर्ट पर

asiakhabar.com | July 28, 2018 | 5:17 pm IST
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श्रावण मास ने दस्तक दे दी है। श्रावण की खुशियां और बम भोले की गूंज फिजाओं को भक्तिमय बनाने लगी है। हिंदू पंचांग का आरंभ चैत्र मास से होता है। चैत्र मास से पाँचवां माह श्रावण मास होता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार इस मास की पूर्णिमा के दिन आकाश में श्रवण नक्षत्र का योग बनता है। इसलिए श्रवण नक्षत्र के नाम से इस माह का नाम श्रावण हुआ। इस माह से चातुर्मास की शुरुआत होती है। यह माह चातुर्मास के चार महीनों में बहुत शुभ माह माना जाता है।

कार्तिक माह को विष्णु तो श्रावण माह को शिव का प्रमुख महीना माना जाता है। हिन्दुओं में सावन का महीना विशेष तौर पर व्रत का महीना होता है। चातुर्मास, श्रावण मास और कार्तिक माह की महिमा का वर्णन वेद−पुराणों में मिलता है। श्रावण शब्द श्रवण से बना है जिसका अर्थ है सुनना। अर्थात् सुनकर धर्म को समझना। वेदों को श्रुति कहा जाता है अर्थात् उस ज्ञान को ईश्वर से सुनकर ऋषियों ने लोगों को सुनाया था। इस माह में वैसे तो सभी पवित्र दिन होते हैं लेकिन सोमवार, गणेश चतुर्थी, मंगला गौरी व्रत, मौना पंचमी, श्रावण माह का पहला शनिवार, कामिका एकादशी, कल्कि अवतार शुक्ल 6, ऋषि पंचमी, 12वीं को हिंडोला व्रत, हरियाली अमावस्या, विनायक चतुर्थी, नागपंचमी, पुत्रदा एकादशी, त्रयोदशी, वरा लक्ष्मी व्रत, गोवत्स और बाहुला व्रत, पिथोरी, पोला, नराली पूर्णिमा, श्रावणी पूर्णिमा, पवित्रारोपन, शिव चतुर्दशी और रक्षा बंधन की विशेष महत्ता है।
सावन में शिव आराधना का बड़ा महत्व है। इस दौरान जगह−जगह कांवड़ियों की लम्बी कतारें बम बम भोले के जयकारे लगाते हुए दिखती हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम पहले कांवड़ेया थे। कहते हैं श्री राम ने झारखंड के सुल्तानगंज से कांवड़ में गंगाजल लाकर बाबाधाम के शिवलिंग का जलाभिषेक किया था। वहीं कुछ लोगों को मानना है कि पहली बार श्रवण कुमार ने त्रेता युग में कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। अपने दृष्टिहीन माता−पिता को तीर्थ यात्रा कराते समय जब वह हिमाचल के ऊना में थे तब उनसे उनके माता−पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा के बारे में बताया। उनकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए श्रवण कुमार ने उन्हें कांवड़ में बैठाया और हरिद्वार लाकर गंगा स्नान कराया। वहां से वह अपने साथ गंगाजल भी लाए। माना जाता है तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई, जबकि पुराणों के अनुसार इस यात्रा की शुरुआत समुद्र मंथन के समय हुई थी। मंथन से निकले विष को पीने की वजह से शिव जी का कंठ नीला पड़ गया था और तब से वह नीलकंठ कहलाए।

इसी के साथ विष का बुरा असर भी शिव पर पड़ा। विष के प्रभाव को दूर करने के लिए शिवभक्त रावण ने तप किया। इसके बाद दशानन कांवड़ में जल भरकर लाया और पुरा महादेव में शिवजी का जलाभिषेक किया। इसके बाद शिव जी विष के प्रभाव से मुक्त हुए। कहते हैं तभी से कांवड़ यात्रा शुरू हुई। इसके अलावा मान्यताएं यह भी हैं कि सबसे पहले भगवान परशुराम ने कांवड़ से गंगाजल लाकर उत्तर प्रदेश के बागपत के पास स्थित ‘पुरा महादेव’ का जलाभिषेक किया था। वह शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लाए थे। इस कथा के अनुसार आज भी लोग गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लाकर पुरा महादेव का अभिषेक करते हैं। यह भी माना जाता है कि समुद्र मंथन में विष के असर को कम करने के लिए शिवजी ने ठंडे चंद्रमा को अपने मस्तक पर सुशोभित किया था। फिर सभी देवताओं ने भोलेनाथ को गंगाजल चढ़ाया। तब से सावन में कांवड़ यात्रा शुरू हो गई।
श्रावण और कांवड़ का कोलाहल अगले 30 दिनों तक सुनाई देगा, तो पुलिस ने भी इसके लिये पूरी तैयारी कर ली है। शिवालयों के पास सुरक्षा बढ़ा दी गई है तो कांवड़ियों के गुजरने के मार्गों की भी मॉनीटरिंग की जा रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस कांवड़ यात्रा के दौरान लोगों की सुरक्षा और इस दौरान उपद्रवों से निपटने के लिए सतर्क है। योगी सरकार ने तय किया है कि कांवड़ यात्रा के मार्ग पर मांस व मदिरा की बिक्री प्रतिबंधित रहेगी। इसके अलावा तेज आवाज में डीजी बजाने पर भी रोक रहेगी। अधिकारियों का दावा है कि इस बार सावन में चार करोड़ से अधिक कांवड़ियों के आने की संभावना को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। इसके मद्देनजर भारी संख्या में पुलिसबलों की तैनाती की गई है।

इस दौरान पुलिस अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। यात्रा के दौरान आतंकियों की ओर से गड़बड़ी के अंदेशे को देखते हुए एटीएस के साथ−साथ स्टेट इंटेलीजेंस को भी अलर्ट किया गया है। उप्र के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) आनंद कुमार के मुताबिक, ‘कांवड़ यात्रा के दौरान शराब व मांस की बिक्री पर सख्ती से रोक लगाने के लिए संबंधित जिलों के अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए गए हैं। सर्वोच्च अदालत के निर्देश के अनुसार कम आवाज पर जरूर डीजे बजाया जा सकेगा लेकिन इसके लिए जिला प्रशासन से पहले अनुमति लेनी होगी।
कांवड़ यात्रा के लिए रेलवे ने भी स्टेशनों पर सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश जारी किए हैं। सभी ट्रेनों में जीआरपी व आरपीएफ की पैनी नजर रहेगी। प्रमुख सचिव (गृह) अरविन्द कुमार ने बताया कि कांवड़ यात्रा के दौरान उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुक्रम में डीजे पर प्रतिबंध रहेगा। कम आवाज वाले लाउडस्पीकर्स में भजन बजाने की व्यवस्था के लिए अनुमति दी जा सकती है, लेकिन उससे ध्वनि प्रदूषण न हो, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा कांवड़ यात्रा के दौरान हॉकी, बेसबैट, डंडों पर प्रतिबंध रहेगा। कुमार ने बताया कि कांवड़ यात्रा में हेलीकॉप्टर, सीसीटीवी व ड्रोन से निगरानी की जाएगी।

कांवड़ यात्रा में करीब पांच करोड़ कांवड़ियों के आने की संभावना है। किसी तरह की कोई अफवाह न फैले इसके लिये सोशल मीडिया पर नजर रखी जाएगी। सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाह फैलाने वालों को चिन्हित कर उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तक से यूपी समेत छह राज्यों से करीब तीन करोड़ शिवभक्त कांवड़ लेकर सावन के महीने में जाते हैं। इस दौरान रुट निर्धारण और रोड डायवर्जन के अलावा शिवभक्तों की सुरक्षा बड़ा मुद्दा रहता है। कांवड़ियों के चलते सबसे ज्यादा दबाव मेरठ से हरिद्वार तक देखने को मिलता है। इसीलिये हरिद्वार से मेरठ तक कांवड़ मार्ग में 27 एम्बुलैंस और 28 चिकित्सा शिविर स्थापित किये गए हैं। इसके अलावा स्वयंसेवी समूहों के भंडारे और चिकित्सा शिविर अलग है। 1200 अस्थाई शौचालय और हर 500 मीटर की दूरी पर पीने के पानी की व्यवस्था कराई गई है। मोबाइल एप पर लाइव यातायात भी देखा जा सकेगा।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों के रेलवे स्टेशन सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर 3 श्रेणी में बांटे गए हैं। सभी स्टेशन सीसीटीवी से लैस रहेंगे और सुरक्षा के लिए स्टेशन और ट्रेनों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करने के निर्देश जारी हुए हैं। मसूरी एक्सप्रेस समेत 9 प्रमुख ट्रेनों पर इन दिनों नजर रहेगी। आशंका के चलते संप्रदाय के लिहाज से मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, देवबंद, सहारनपुर के रेलवे स्टेशन संवेदनशील श्रेणी में रखे गए हैं।

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