प्रधान सेवक के 3 साल

asiakhabar.com | May 26, 2017 | 4:58 pm IST
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-हेमेन्द्र क्षीरसागर- बधाई हो! 2014 में दिल से चुनी गई मोदी सरकार के 3 साल पूरे हो गए। पहली बार ऐसा हुआ कि, प्रधानमंत्री बनाने के लिए सरकार चुनी गई। सरकार के सरदार बने बचपन में चाय बेचने वाले नरेन्द्र मोदी। पर हुआ क्यां देश का मुखिया बनते ही इन्होंने अपनी भारतीय जनता पार्टी को मां और संसद को मंदिर कहते हुए सदन के दर पर माथा टेका। इतना ही नहीं लाल किले की प्राचिर से स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर देश का प्रधान मंत्री नहीं अपितु प्रधान सेवक के रूप में सापेक्षिक पदनावत् किया। शायद ही देश में ऐसा कभी हुआ होगा जब प्रधानमंत्री ने जनता के साथ इतना करीबी रिश्ता बनाया हो। इसी रिश्ते के बलबूते ही प्रधान मंत्री अपनी मन की बात जन के साथ बढी सरलता और असरदार तरीके से कह पाते हैं। अपनी कहीं और जनता से सुनी बातों को अमलीजामा पहनाने में कोई कोर कसर नहीं छोडते। यही अदा मन को छू जाती है और फिदा होकर नवजवानों का कांरवा प्रधानमंत्री की छाया अपनी काया पर पोशाकों के रूप में ओढे नजर आता है। जैसे कोई फिल्मी नायक का नया फैशन सर चढ कर बोलता है वैसा ही प्रधानमंत्री की आभा जनाभिमुख और अनुकरणीय बनी हुई है। यह है ना कमाल की बात! देश का युवा प्रधान सेवक की छवि में अपना भविष्य तलाश कर साथ-साथ आगे बढ रहा है। अविरल, मोदी सरकार ने 3 साल में आमूलचूल कदम उठाए। कदमताल प्रधान सेवक का स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान जन-गण में आंदोलन का स्वरूप बनकर कई गांवों और शहरों को गदंगी से मुक्त करा चुका है। स्किल इंडिया, मेड-इन-इंडिया, डिजीटल इंडिया, स्टार्ट अप व स्टैंड अप इंडिया और मुद्रा योजना युवाओं को स्वरोजगार के नित-नए अवसर दे रही है। सरकार की बहुयामी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, ग्राम सिचांई, मृदा संरक्षण, आवास, गरीब कल्याण, बीमा व पेंशन, जन औषधि, सुरक्षित मातृत्व, उज्जवला तथा श्रममेव जयते योजना गरीबों, किसानों और मजदूरों के वास्ते उम्मीद की नई किरण लेकर आई है। निर्णायक फैसलों में सर्जिकल स्टाªइक ने दुश्मन देश पाकिस्तान को दहला दिया। विश्व स्तर पर चीन और पाकिस्तान के खिलाफ जोरदार घेराबंदी कर जवाबी कार्रवाई की। अलावा वैश्विक समूहों में प्रधानमंत्री की कुशल कूटनीति मील का पत्थर साबित हुई। आगे बढते हुए सरकार ने आर्थिक मुद्दों पर जनधन योजना, कैशबेन, कैशलेस इंडिया, डायरेक्ट बेनिफिट्स स्कीम और आॅनलाइन भुगतान व टेंडरिंग जैसे ऐतिहासिक निर्णय धरातलीय बने। इसी गाथा में सांसद आदर्श ग्राम योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति, स्मार्ट सिटी मिशन, एक भारत श्रेष्ठ, ग्राम उदय से भारत उदय, स्वदेश दर्शन, 7 वां वेतन मान और वन रैंक वन पेंशन, विश्व योग दिवस की सौगात इत्यादि अच्छे दिनों के प्रकल्प हैं। अभिभूत, प्रधान सेवक के बेमिसाल 3 साल में लोगों का बरसों बाद नजरिया बदला कि, यह अच्छी सरकार है। इसकी जिम्मेदारी जिसे हमनेें सौंपी थी वह परिश्रमी, ईमानदारी और दमदारी से पूर्ण निष्ठा के साथ निभा रहा हैं। घोष वाक्य! ना खांऊगा, ना खाने दूंगा चरितार्थ हुआ। इसी अटूट बंधन से जन-अधिनायक और सरकार का नाता प्रगाढ बना। लिहाजा, यकीन हो चला है की बचे 2 साल भी छोटे-छोटे लोगों के बडे-बडे काम के अतिरेक सबके साथ, सबके विकास के लिए होंगे। बेशक विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि मिशन अभी अधूरा है, अच्छे कामों का आगाज हुआ है अंजाम आना बाकि हैं। दौरान निःसंदेह देश प्रगति, उन्नति, आर्थिक, सामरिक और वैश्विक दृष्टिादि से आगे बढा। सारी दुनिया ने भारत का लोहा मानकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व को सलाम किया। यथेष्ट झंडा ऊचा रहे हमारा मंत्रमुग्धा के भाव से प्रधान सेवक की कथनी और करनी में कोई भेद नजर नहीं आया इसीलिए मोदी सरकार और एक बार… का शंखनाद जन-गण में जरूर गुजेंगा।


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