नयी दिल्ली। भारत ने आज अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जांग उन के बीच आयोजित शिखर वार्ता का स्वागत किया और इसे सकारात्मक घटनाक्रम करार दिया। इस शिखर वार्ता पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विदेश मंत्रालय ने उम्मीद जाहिर की कि उत्तर कोरिया प्रायद्वीप से जुड़ा कोई भी प्रस्ताव भारत के पड़ोस में प्योगयांग के परमाणु प्रसार संबंधी चितांओं को दूर करेगा। इस का परोक्ष आशय पाकिस्तान के संदर्भ में माना जा रहा है। भारत काफी समय से इस बात की मांग कर रहा है कि भारत के पड़ोस में उत्तर कोरिया के परमाणु प्रसार संबंधों की जांच की जाए।
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘‘भारत अमेरिका-डेमोक्रेटिक रिपब्लिक आफ कोरिया के बीच सिंगापुर में आयोजित शिखर सम्मेलन का स्वागत करता है। यह सकारात्मक घटनाक्रम है। भारत कोरियाई प्रायद्वीप में बातचीत और कूटनीति के जरिये शांति और स्थिरता के प्रयासों का हमेशा से समर्थन करता रहा है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिका और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक आफ कोरिया के बीच शिखर सम्मेलन के परिणाम कोरियाई प्रायद्वीप में स्थायी शांति और स्थिरता का मार्ग प्रशस्त करेंगे।’’
विदेश मंत्रालय ने कहा कि इसमें हमारे पड़ोस में परमाणु प्रसार संबंधी हमारी चिंताओं को ध्यान में रखा जायेगा। उल्लेखनीय है कि उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से सुरक्षा गारंटी दिए जाने के बदले में बीती बातों को भुलाने और ‘‘कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण’’ की ओर काम करने का आज वादा किया। दोनों नेताओं ने यहां ऐतिहासिक वार्ता को खत्म करते हुए एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए। बयान के अनुसार, ट्रंप और किम ने दोनों देशों के बीच नए संबंध बनाने और कोरियाई प्रायद्वीप में स्थायी शांति स्थापित करने से संबंधित मुद्दों पर विस्तारपूर्वक, सघन तथा ईमानदारी से बातचीत की।