नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट में गुरुवार को रोहिणी में आश्रम चलाने वाले अय्याश बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के मामले में सुनवाई होनी है। हालांकि, वीरेंद्र देव दीक्षित पिछले कई महीनों से फरार है और जांच एजेंसी अब तक उसका पता नहीं लगा पाई हैं।
पहले इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस कर रही थी। मगर, बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट को बताया था कि उसे मिली जानकारी के मुताबिक वीरेंद्र देव दीक्षित नेपाल में छिपा हो सकता है।
गौरतलब है कि युवतियों-महिलाओं के शोषण के आरोपी बाबा वीरेंद्र देव के खिलाफ सीबीआई ने तीन मुकदमे दर्ज किए हैं। दिल्ली के रोहिणी स्थित बाबा वीरेंद्र देव के आश्रम से दिसंबर महीने में कई लड़कियों को छुड़ाया गया था, जिन्हें कई दिनों तक बंधक बनाकर कैद में रखा रखा गया था।
दिल्ली पुलिस ने एक युवती की शिकायत पर दुष्कर्म का केस दर्ज किया था। पीड़िता ने कहा था कि बाबा ने साल 2000 में उसके साथ दुष्कर्म किया था। युवती ने यह भी आरोप लगाया था कि आश्रम में रहने वाली तमाम लड़कियों के साथ इस तरह की हरकतों को अंजाम दिया जाता है।
मामला सामने आने के बाद पुलिस ने आश्रमों पर छापेमारी के बाद लगभग 50 नाबालिग और करीब 200 महिलाओं को मुक्त कराया है। इसके बाद पुलिस ने बाबा के देशभर में स्थित कई आश्रमों पर छापेमारी की थी।
आध्यात्मिक विश्वविद्यालय विजय विहार में 1200 गज भूमि पर बना हुआ है। आश्रम के नाम पर एक दशक पहले वहां केवल झुग्गियां थीं। बताया जाता है कि ये लोग वीरेंद्र देव दीक्षित के अनुयायी ही थे। धीरे-धीरे झुग्गियों की जगह पक्का निर्माण शुरू हुआ। वर्ष 2010 तक यह भवन सिर्फ एक मंजिल का था।
महिला अनुयायियों की संख्या बढ़ने के साथ निर्माण कार्य भी बढ़ने लगा। स्थानीय लोगों के अनुसार बीते सात वर्षों में यह पांच मंजिल का बन गया है। कुछ वर्ष पहले चौथी मंजिल से दो युवतियां कूद गईं थीं। इसमें एक युवती की मौत हो गई और दूसरी गंभीर रूप से घायल हो गई थी। इस घटना के बाद पूरे परिसर को ग्रिल लगाकर बंद कर दिया गया।
निर्माण कार्य अवैध
विजय विहार फेज एक के ए-पॉकेट में कुल सात प्लॉट पर पूरा निर्माण कार्य अवैध रूप से हुआ। इस बीच प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। बिजली-पानी के कई कनेक्शन यहां चालू हैं। विजय विहार में रहने वाली शालू अरोड़ा बताती हैं कथित विश्वविद्यालय में प्रत्येक रविवार को भक्त मुरली (आध्यात्मिक सत्संग) सुनने जाते थे। तब आस-पास की कुछ महिलाएं जाती थीं। उन्हें भी सिर्फ एक हॉल में ही जाने दिया जाता था। किसी को परिसर में कहीं आने-जाने व किसी से बात करने की इजाजत नहीं थी।
किसी ने भी बाबा को नहीं देखा
मुरली में किसी ने भी बाबा को नहीं देखा। बस वहां एक ऑडियो टेप चलाया जाता था। उसे सुनने के बाद सब को बाहर निकाल दिया जाता था। पड़ोस की रहने वाले महिला प्रवीण खन्ना बताती हैं कि वर्षों से यहां रहने के बावजूद किसी को भी दिन में खुले तौर पर घूमते-फिरते नहीं देखा। देर रात चहलकदमी होती थी। चंडीगढ़ और फर्रुखाबाद से खाने-पानी की चीजें आती थीं।