उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक में सरकार बनाने के लिये भाजपा को आमंत्रित करने के राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस की याचिका पर आज पूरी रात सुनवाई की लेकिन येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक नहीं लगाई। ऐतिहासिक रूप से रात तीन बजे तक उच्चतम न्यायालय में चली सुनवाई में अदालत ने कहा कि सरकारिया आयोग की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्यौता दिया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है और तभी उसे सरकार बनाने का मौका दिया गया है। अदालत ने कहा कि कांग्रेस ने चुनावों के बाद गठबंधन किया है। अदालत ने साफ कहा कि भाजपा के दावे को परखना होगा।
समर्थन की चिट्ठी नहीं होने पर घिर गयी कांग्रेस
अदालत ने कांग्रेस से यह पूछा कि आप जिस समर्थन का दावा कर रहे हैं उस समर्थन की चिट्ठी कहां है तो कांग्रेस का पक्ष रख रहे अभिषेक मनु सिंघवी के पास कोई जवाब नहीं था। अदालत ने चिट्ठी नहीं होने से केस की मेरिट पर ही सवाल उठा दिये। अदालत ने कहा कि विधायकों के समर्थन की जो चिट्ठी आप राज्यपाल को सौंपने की बात कर रहे हैं वह जब आपके पास है ही नहीं है तो दलीलें कैसे सुनें।
रात 1.45 पर शुरू हुई सुनवाई
कांग्रेस की याचिका पर रात एक बजकर 45 मिनट पर सुनवाई शुरू हुई। याचिका में भाजपा के बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाए जाने पर रोक लगाने की मांग की गई थी। तीन सदस्यीय बेंच ने उच्चतम न्यायालय की अदालत नंबर-6 में दलीलें सुनना शुरू किया था।
जमकर चली दलीलें
कांग्रेस की ओर से पार्टी का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता और सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने रखा जबकि भाजपा का पक्ष पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने रखा। सिंघवी ने बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय देने पर भी सवाल उठाये और भाजपा का पक्ष रख रहे वकील से पूछा कि वह बताएं कि कैसे भाजपा अपना बहुमत साबित करेगी। जवाब में रोहतगी ने कहा कि हमारे पास बहुमत है और वह विधानसभा में साबित कर देंगे। सिंघवी ने यह दलील भी दी कि राज्यपाल के पास अधिकतम विधायकों वाले समूह को न्यौता देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि आपका चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं था और सरकारिया आयोग की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि राज्यपाल सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए बुला सकते हैं। अदालत ने अपनी टिप्प्णी में यह भी कहा था कि राज्यपाल ने अपने विवेक से जो निर्णय किया है उस पर हम कैसे रोक लगा सकते हैं।
देर रात को अदालत पहुँची थी कांग्रेस
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला के भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता देने से आक्रोशित कांग्रेस ने इस फैसले के खिलाफ आज रात उच्चतम न्यायालय का रुख किया और प्रधान न्यायाधीश से तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। कांग्रेस ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा से अनुरोध किया कि वह आज रात ही इस मामले पर अविलंब सुनवाई करें क्योंकि येदियुरप्पा कल सुबह नौ बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पार्टी ने राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली अपनी याचिका पर आज रात ही सुनवाई का अनुरोध किया है। सिंघवी ने कहा, ‘हमने उच्चतम न्यायालय के समक्ष याचिका दाखिल की है और रजिस्ट्रार से अनुरोध किया है कि वह इस पर आज रात ही सुनवाई की अनुमति दें।’’ उन्होंने कहा कि तत्काल सुनवाई का अनुरोध इसलिये किया गया है क्योंकि मामला बेहद गंभीर है। कांग्रेस ने राज्यपाल के फैसले को लोकतंत्र की हत्या और संविधान को कुचलना करार दिया।
इससे पहले, देर शाम में राज्यपाल वाला ने येदियुरप्पा को सरकार बनाने और कल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का न्यौता दिया। उन्होंने येदियुरप्पा से पद संभालने के 15 दिन के भीतर विश्वास मत हासिल करने को कहा।
सिंघवी को वाला के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की कानूनी चुनौती का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने अविलंब याचिका पर सुनवाई की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिये उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार से मुलाकात की।
राज्यपाल के निर्णय से भड़की कांग्रेस
कांग्रेस ने कर्नाटक में भाजपा की सरकार बनाने के कदम को अवैध और कानून और संविधान के खिलाफ बताया है। कांग्रेस ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिये 15 दिन का वक्त दिये जाने को खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देने वाला बताया। पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा, कांग्रेस और जद (एस) के विधायकों को तोड़ने की कोशिश करेगी। इस कदम के खिलाफ कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राज्यपाल वजुभाई वाला ने संविधान की बजाय ‘भाजपा में अपने मालिकों’ की सेवा चुनी और ‘भाजपा की कठपुतली’ के तौर पर काम किया।
भाजपा ने सही बताया
उधर भाजपा ने कर्नाटक के राज्यपाल के फैसले का बचाव किया। पार्टी ने कहा कि राज्यपाल ने बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्यौता देने में संविधान और उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुसार कदम उठाया है। उसने कांग्रेस पर जनादेश को लूटने का प्रयास करने का आरोप लगाया है।
विधानसभा का आंकड़ा
224 सदस्यीय विधानसभा में 104 विधायकों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है। वहीं, चुनाव के पश्चात बने जद (एस)-कांग्रेस गठबंधन के 116 विधायक हैं। गठबंधन ने एक निर्दलीय विधायक का समर्थन होने का भी दावा किया है। सबसे बड़ी पार्टी या चुनाव पूर्व या चुनाव बाद बने गठबंधन को सरकार बनाने का न्योता देने की परंपरा रहने को देखते हुए राज्यपाल वाला ने पहले विकल्प को चुना। वह गुजरात में आरएसएस-भाजपा के बड़े नेता रह चुके हैं।