कर्नाटक के बाद अब भाजपा ने इस वर्ष होने वाले अन्य राज्य विधानसभा चुनावों पर नजरें गड़ा दी हैं। इस साल नवंबर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में चुनाव होने हैं। भाजपा के लिए इन राज्यों में राजस्थान सबसे कमजोर कड़ी माना जा रहा है लेकिन पार्टी किसी भी सूरत में राजस्थान में अपना आधार गंवाना नहीं चाहती। हाल ही में हुए लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में राजस्थान में भाजपा को करारा झटका लगा था। माना जा रहा है कि राज्य में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रति काफी नाराजगी है। भाजपा के शीर्ष स्तर की ओर से कराये गये सर्वेक्षणों में भी यह बात उभर कर आई है कि भले वसुंधरा राजे से नाराजगी हो लेकिन मोदी सरकार से लोगों की नाराजगी नहीं है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी राज्य में पार्टी की गतिविधियों से संतुष्ट नहीं बताये जा रहे हैं। उन्हें भी यह बात खल रही है कि अशोक परनामी को राजस्थान भाजपा अध्यक्ष पद से हटाये गये काफी समय हो चुका है लेकिन वहां नये अध्यक्ष की नियुक्ति में बाधाएं खड़ी की जा रही हैं। दरअसल मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का प्रयास है कि राज्य भाजपा अध्यक्ष उनकी पसंद का हो जबकि पार्टी आलाकमान की पसंद केंद्रीय राज्य मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल बताये जा रहे हैं। इसी के साथ ही दो दिन पहले राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को सूचना प्रसारण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान की राजनीति में उनका कद बढ़ा दिया है।
पार्टी आलाकमान हालांकि चुनावों से पहले राज्य की सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के मूड में तो नहीं है लेकिन उसे यह समझ आ गया है कि बिना मोदी और अमित शाह के मैदान में उतरे भाजपा का भला नहीं होने वाला है। इसी कड़ी में आगामी 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर जयपुर में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी योग करेंगे। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि यह कार्यक्रम दरअसल राजनीतिक आसन के लिए होगा। भाजपा सूत्रों का कहना है कि अमित शाह के भी जून-जुलाई से राजस्थान में लगातार कार्यक्रम रहने वाले हैं।