भारत देश में लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं एनीमिक हैं। वैसे यह समस्या सिर्फ महिलाओं से ही नहीं जुड़ी है, बल्कि इसकी जद में बच्चे व बड़े भी शामिल हैं। आमतौर पर एनीमिया के पीछे का मुख्य कारण शरीर में आयरन की कमी माना जाता है लेकिन सिफ आयरन की कमी ही एनीमिक होने का कारण नहीं बनती, इसके अतिरिक्त शरीर में कैल्शियम की अधिकता, खून की कमी और लम्बे समय तक बीमार रहने के कारण भी आप एनीमिक हो सकते हैं। इस स्थिति में आपको बहुत कमजोरी का अहसास होता है। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आप एनीमिक न हो तो इसके लिए आपको कुछ तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए। आईए जानते हैं उन तरीकों के बारे में-
आहार में बदलाव
सबसे पहले तो आपको अपने आहार पर विशेष रूप से ध्यान देना होगा क्योंकि जब आप अपने खान-पान में सुधार करेंगे तो बहुत सी बीमारियां आपसे खुद ब खुद दूर रहेगी। इनमें एनीमिया भी एक है। एनीमिया से दूरी बनाए रखने के लिए आप ऐसे भोजन को अपने आहार का मुख्य स्त्रोत बनाएं, जिससे आपके शरीर में खून की मात्रा व आयरन प्रचुर रूप से प्राप्त हो। इन आहार में आप चुकंदर, तोफू, बीन्स, अंजीर, पालक, टमाटर, अंडा, अनार, बादाम, सेब, अंगूर, विभिन्न प्रकार की दालें, हरी पत्तेदार सब्जियों, सोयाबीन, शहद, गुड, मेवे आदि को अपने आहार का मुख्य स्त्रोत बनाएं।
अगर आप मांसाहारी हैं तो आप ओमेगा-3 फैटी एसिड व आयरन युक्त मछली, रेड मीट और सी-फूड अवश्य शामिल करें।
करें ये उपाय
आप आहार के अतिरिक्त भी खुद को एनीमिक होने से बचा सकते हैं। इसके लिए आप अपनी किचन में लोहे की कड़ाही का इस्तेमाल करें। जब आप लोहे की कड़ाही में सब्जी बनाते हैं तो इससे आपको काफी मात्रा में आयरन प्राप्त होता है और इस तरह आप एनीमिक होने से खुद को बचा पाते हैं।
वहीं आपको अपने कैल्शियम इनटेक पर भी नजर रखनी चाहिए। अगर आपके शरीर में कैल्शियम की अधिकता हो जाएगी तो इससे आयरन के अब्जार्बशन में परेशानी होगी और फिर आपके एनीमिक होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाएगी।
इसके अतिरिक्त जिना संभव हो सके, आप चाय, कॉफ़ी और कोल्डड्रिंक से दूरी बनाकर रखें। यह आपके स्वास्थ्य को कई मायनों में नुकसान पहुंचाते हैं।
आप आयरन के अतिरिक्त विटामिन सी, विटामिन बी12 और फोलिक एसिड युक्त आहार को भी अपनी डाइट का हिस्सा अवश्य बनाएं।
वहीं छोटे बच्चों को इस तरह की समस्या का सामना न करना पड़े, इसके लिए आप बच्चों के जन्म के बाद कम से कम छह माह तक तो उन्हें स्तनपान अवश्य कराएं। इसके अतिरिक्त छह माह के बाद आप भले ही बच्चों को सालिड फूड देना शुरू कर दें लेकिन फिर भी अगर संभव हो तो ब्रेस्टफीड अवश्य कराते रहें।